इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय (MP High Court) की इंदौर पीठ ने कथित तौर पर क्रूरतापूर्ण बलात्कार (brutal rape) के एक मामले में पीड़ित और आरोपी पक्ष के बीच समझौते के आधार पर प्राथमिकी रद्द करने से इंकार करते हुए कहा है कि महिलाओं के पवित्र वजूद की हर हाल में रक्षा आवश्यक है। इस मामले के आरोपी के खिलाफ अपनी प्रेमिका की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित करने की धमकी देकर उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने का इल्जाम है।
महिला हर व्यक्ति की मां, पत्नी, बहन और बेटी आदि के रूप में जीवित रहती है : अदालत ने कहा कि एक महिला हर व्यक्ति की मां, पत्नी, बहन और बेटी आदि के रूप में जीवित रहती है। उसका शरीर उसके अपने मंदिर के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वे खासतौर पर अपने बलिदानों के लिए पहचानी जाती है। उसके पवित्र वजूद की हर परिस्थिति में रक्षा आवश्यक है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि देश में महिलाओं के शील और पवित्रता की हमेशा पूजा की जाती है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पीड़ित महिला ने यह इल्जाम लगाते हुए याचिकाकर्ता पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि वर्ष 2022 में शहर के एक क्लब में मुलाकात के बाद उसने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। महिला को जब शक हुआ कि आरोपी अन्य युवतियों के भी संपर्क में है तो दोनों के बीच विवाद हुआ और इसके बाद उसने महिला से कथित तौर पर मारपीट व गाली-गलौज करते हुए उसके साथ क्रूरता से शारीरिक संबंध बनाए जिससे वे घायल हो गई।