अधिकारियों ने बताया कि देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर एक कम्पनी द्वारा चलाया जा रहा संयंत्र हर दिन 550 टन गीले कचरे (फल-सब्जियों और कच्चे मांस का अपशिष्ट, बचा या बासी भोजन, पेड़-पौधों की हरी पत्तियों, ताजा फूलों का कचरा आदि) से 17,000 से 18,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी और 100 टन जैविक खाद बना सकता है।
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि प्रचंड ने देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पर ठोस कचरे के निपटान के लिए चलाया जा रहा संयंत्र भी देखा। भार्गव ने बताया कि अपने पांच मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ आए प्रचंड ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर के स्वच्छता मॉडल को बड़ी बारीकी से समझा जिसमें घर-घर से कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में जमा करने की व्यवस्था सबसे अहम है।
महापौर ने बताया,"इस प्रतिनिधिमंडल ने इंदौर के स्वच्छता मॉडल को नेपाल के काठमांडू, ललितपुर और अन्य शहरों में लागू करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की।"