इंदौर। मप्र एवं इंदौर की गौरवमयी (संस्था) विद्यालय बाल निकेतन संघ इंदौर में अनेक पुरस्कारों एवं अलंकारों से सुसज्जित श्रद्धेय स्वर्गीय पद्मश्री शालिनी ताई मोघे का 'षष्टम पुण्य स्मरण' बाल निकेतन संघ में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया गया।
इस उपलक्ष्य में व्याख्यान एवं भजन का आयोजन किया गया। प्रमुख वक्ता 'संस्था प्रथम' के संस्थापक डॉ. माधव चव्हाण रहे। उनके साथ संस्था प्रथम की सीईओ सुश्री रुक्मणी बेनर्जी भी उपस्थित थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वज्लन एवं भजन से प्रारंभ हुआ। स्वागत बेला में डॉ. माधव चव्हाण का स्वागत पुष्प गुच्छ से किया गया। श्रीफल एवं शाल के साथ प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया। डॉ. चव्हाण ने अपने व्याख्यान के दौरान शिक्षा से संबंधित कई गतिविधियों पर प्रकाश डाला। प्राचीन शिक्षा एवं आधुनिक शिक्षा में हुए बदलाव को उन्होंने बड़ी सहजता से बताया।
स्कूल में असफल होने वाले विद्यार्थियों के लिए उन्होंने जीवनदायी व्याख्यान दिया। आपका मानना है कि जीवन में सफलता केवल स्कूल स्तर पर पास या फेल होने से नहीं होती वरन् स्कूल में फेल होने पर भी विद्यार्थी अपने लक्ष्य से अधिक प्राप्त करने की क्षमता रखता है।
आपने बाल केंद्रित शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा, वर्तमान पाठ्यक्रम, को इंगित करते हुए शिक्षा पद्धति में रुचिपूर्ण पाठ्यक्रम को उचित ठहराया। जिसके तहत छात्र अपना सर्वांंगीण विकास कर सके। आपके ज्ञान का सागर अथाह है जिसे जितना सुना जाए कम प्रतीत होता है। इस दौरान प्रश्न मंच कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। जिसमें शिक्षक एवं विद्यार्थी द्वारा किए गए प्रश्नों का आपने बखूबी जवाब दिया। कार्यक्रम के अंत में बाल निकेतन संघ की परंपरानुसार 'रुद्राक्ष' पौधे का वृक्षारोपण किया गया।
डॉ. माधव चव्हाण शिक्षा जगत के विखयात ज्ञानी पुरुषों में जाने जाते हैं। आपका व्यक्तित्व अद्भुत एवं प्रेरकदाई है। इस अवसर पर बाल निकेतन संघ के सभी समस्त पदाधिकारी शिक्षक गण अन्य महानुभाव, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।