ताम्रकर जी की पुस्तक का शीघ्र प्रकाशन हो : प्रभु जोशी
बुधवार, 13 दिसंबर 2017 (18:11 IST)
इंदौर। सुप्रतिष्ठित फिल्म विश्लेषक, संपादक और सिनेमा के एनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले स्व. श्रीराम ताम्रकर पर मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा दो दिवसीय गोष्ठी का आयोजन का शुभारंभ बुधवार से इंदौर के देवपुत्र सभागार में प्रारंभ हुआ। चित्रकार, साहित्यकार और दूरदर्शन के पूर्व प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव प्रभु जोशी ने कहा कि ताम्रकर जी की अधूरी किताब का भी शीघ्र प्रकाशन हो, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
चित्रकार, साहित्यकार और दूरदर्शन के पूर्व प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव प्रभु जोशी ने कहा कि मेरा ताम्रकर जी से संबंध 1983 से जीवंत रूप से इसलिए रहा, क्योंकि वे संवाद नगर में मेरे पड़ोसी हो गए थे। उन्होंने हमेशा खुद के बजाए दूसरे लोगों को आगे बढ़ाया। मैं चाहता हूं कि 'स्मरण श्रीराम ताम्रकर' का दायरा सिर्फ इंदौर तक न रहकर प्रदेशभर में फैले, क्योंकि वे पूरे प्रदेश के सम्मानीय रहे।
प्रभु जोशी ने यह भी कहा कि ताम्रकर जी हमेशा पर्दे के पीछे रहते थे। नईदुनिया में जब वे रहे तब उन्होंने फिल्मों पर अनेकों विशेषांक निकाले। सालभर तक पाठकों को ये इंतजार रहता था कि इस बार वे किस फिल्मी हस्ती पर विशेषांक निकाल रहे हैं। जब इसका विमोचन करने फिल्मी हस्तियां आतीं तो अचंभित हो जातीं और धीरे से ताम्रकर जी के कान में कहतीं, 'आप यहां क्या कर रहे हैं, मुंबई आइए, आपकी जगह वहां पर है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और देवपुत्र पत्रिका के प्रबंध संपादक कृष्णकुमार अष्ठाना ने कहा कि मेरा ताम्रकर जी से परिचय स्वदेश अखबार में हुआ था। तब वे महू में शिक्षक थे और फिल्मों पर लिखते थे। उन्होंने लंबे समय तक स्वदेश में कार्य किया। हम सबकी कोशिश रहेगी कि उनकी पुस्तक का शीघ्र प्रकाशन हो।
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी ने कहा कि वे मेरे गुरु रहे, जब मैं महू में पढ़ता था। बाद में उनके आग्रह पर मैंने लिखना प्रारंभ किया। उन्हीं के संपर्क से मैं राष्ट्रीय स्तर पर लिखने लगा। आज मैं जिस मुकाम पर हूं, वह ताम्रकर जी की बदौलत हूं वरना मैं किसी सरकारी महकमे में बाबू या चपरासी या हवलदार होता। वे पथ प्रदर्शक ही नहीं बल्कि हमेशा गुरु ही रहेंगे।
इस मौके पर महू के सेवानिवृत्त शिक्षक ओमप्रकाश ढोली और श्री विट्ठल ने ताम्रकर जी के साथ शिक्षा विभाग में बिताए गए पलों को याद किया। सत्यनारायण व्यास ने इंदौर में फिल्म सोसायटी एवं फिल्म संस्कृति पर अपने विचार रखे। उन्होंने इसके इतिहास के साथ ही श्रीराम ताम्रकर जी के योगदान को भी याद किया। प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर ताम्रकर जी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया।
ताम्रकर जी के पुत्र समय ताम्रकर की दोनों बेटियों (पत्रिका और तूलिका) ने अतिथियों को उनकी पुस्तक की प्रतियां भेंट कीं। दो दिवसीय इस गोष्ठी को सुनने के लिए शहर ही नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी वे लोग आए हुए हैं, जिन्होंने कभी ताम्रकर जी का सान्निध्य प्राप्त किया था।