प्राचीन यूनान में सुकरात नाम के विद्वान हुए हैं। वे ज्ञानवान और विनम्र थे। इस क्रांतिकारी व्यक्तित्व को पश्चिमी विद्वानों ने एक महान यूनानी दार्शनिक माना है, पर संत नहीं। वहीं दूसरी ओर भारतवासियों ने उनमें एक दृष्टा की छवि देखी और उन्हें संतों की कोटि में रखा।
आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व के इस संसार में सुकरात जैसा व्यक्तित्व पैदा हुआ जिसने मृत्यु का वरण करना स्वीकार किया, लेकिन अपने दर्शन की अवज्ञा नहीं की।
आगे पढ़ें सुकरात के अनमोल विचार....
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* हमारी प्रार्थना बस सामान्य रूप से आशीर्वाद के लिए होनी चाहिए, क्योंकि भगवान जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं।
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* प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा अमर होती है, लेकिन जो व्यक्ति नेक होते हैं उनकी आत्मा दिव्य और अमर होती है।
* संभवतः मानवीय वरदानों में सबसे महान मृत्यु ही है।
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* जीवन में चाहे जो भी हो जाए, शादी जरूर कीजिए। अगर पत्नी अच्छी मिली तो आपकी जिंदगी खुशहाल रहेगी और अगर पत्नी बुरी मिलेगी तो आप एक न एक दिन दार्शनिक जरूर बन जाएंगे।
* जीवन में सिर्फ जीना मायने नहीं रखता, बल्कि सच्चाई के साथ जीना ज्यादा मायने रखता है।
* हमेशा मित्रता करते समय धीमे रहिए, पर जब एक बार मित्रता कर लें, तो उसे हमेशा मजबूती के साथ निभाइए।