मां मदर टेरेसा के 3 प्रेरणादायी प्रसंग...

प्रार्थना
 

 
     
मदर टेरेसा से एक बार एक इंटरव्यू करने वाले ने पूछा - जब आप प्रार्थना करती हैं तो ईश्वर से क्या कहती हैं? 
मदर ने जवाब दिया - मैं कुछ कहती नहीं, सिर्फ सुनती हूं। 
इंटरव्यू करने वाले को ज्यादा तो समझ नहीं आया, पर उसने दूसरा प्रश्न पूछा - तो फिर जब आप सुनती हैं तो ईश्वर आपसे क्या कहता है?
मदर - वह भी कुछ नहीं कहता, सिर्फ सुनता है।
कुछ देर मौन छा गया, इंटरव्यू करने वाले को आगे का प्रश्न समझ ही नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए। थोड़ी देर बाद इस मौन को तोड़ते हुए मदर ने खुद कहा- क्या आप समझे, जो मैं कहना चाहती थी, मुझे माफ कीजिएगा मेरे पास आपको समझाने का कोई दूसरा तरीका नहीं है।
 
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सेवक...
     
मदर टेरेसा एक सच्ची सेवक थीं। एक बार मदर टेरेसा कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए कोलकाता में दुकान-दुकान जाकर चंदा एकत्र कर रही थीं। इसी सिलसिले में वे एक अमीर व्यापारी की दुकान पर पहुंची, जो अपनी दुकान पर बैठे-बैठे पान चबा रहा था। 
 
जब मदर टेरसा ने उस व्यापारी के आगे अपना सीधा हाथ फैलाकर कहा कि कुष्ठ रोग से पीड़ित भाइयों के लिए कुछ देने की कृपा करें, तब उस व्यापारी ने मदर के सीधे हाथ पर पान की पीक थूक दी। 
 
इस पर मदर टेरसा बिल्कुल भी विचलित नहीं हुईं और उन्होंने तुरंत अपना सीधा हाथ पीछे करते हुए कहा, 'यह तो मेरे लिए हो गया' और फिर अपना बायां हाथ आगे फैलाते हुए अत्यंत प्यार से बोली, 'अब कृपा कर मेरे कुष्ठ रोगी भाइयों के लिए कुछ देने का कष्ट करें।'
 
उस व्यापारी ने सोचा भी नहीं था कि किसी के हाथ पर थूकने के बाद भी वह बिल्कुल विचलित और क्रोधित नहीं होगा और उल्टा अपना प्यार प्रदर्शित करेगा। वह तुरंत मदर के चरणों में गिर पड़ा। अपने किए की माफी मांगी और उसके बाद मदर टेरेसा की मदद भी की।
 
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मां 'मदर टेरेसा'
 
नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा अपने नाम के अनुरूप वास्तव में एक सच्ची मां थीं। एक दिन वे लंदन से आए एक डॉक्टर को निर्मल हृदय (जहां कुष्ठ रोगियों का इलाज किया जाता था) का अवलोकन करा रही थीं, तभी एक ऐसे कुष्ठ रोगी को वहां लाया गया, जिसके शरीर पर कई जगह घाव हो गए थे और उन घावों से खून और मवाद बह रहा था। 
 
मदर टेरेसा लंदन से आए डॉक्टर को वहीं छोड़कर तुरंत उस रोगी के पास पहुंची और उसके घावों को अपनी साड़ी के पल्लू से पोंछने के बाद उन पर अपने हाथों से दवाई लगाने लगीं। 
 
तब तक वे डॉक्टर महोदय भी वहां पहुंच गए, मदर को कुष्ठ रोगी के घावों पर दवाई लगाते हुए देखकर उन्होंने कहा, 'मदर आप घावों पर दवाई लगाने से पहले कम से कम अपने हाथों पर दस्ताने तो पहन लेतीं।' 
 
मदर टेरेसा ने डॉक्टर से तुरंत प्रश्न किया, 'अगर आपका बेटा इस स्थिति में आपके पास लाया जाता, तो क्या आप उसके घावों पर दवाई लगाने के लिए दस्ताने पहनने तक का इंतजार करते?' ऐसी मां थीं मदर टेरेसा।

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