गांधी जी अपने पत्रों में नायडू को कभी-कभी ‘डियर बुलबुल’,‘डियर मीराबाई’तो यहां तक कि कभी मजाक में ‘अम्माजान’ और ‘मदर’ भी लिखते थे। मजाक के इसी अंदाज में सरोजिनी भी उन्हें कभी ‘जुलाहा’,‘लिटिल मैन’ तो कभी ‘मिकी माउस’ संबोधित करती थीं। वैसे जब देश में आजादी के साथ भड़की हिंसा को शांत कराने का प्रयत्न महात्मा गांधी कर रहे थे, उस वक्त सरोजिनी नायडू ने उन्हें ‘शांति का दूत’ कहा था और हिंसा रुकवाने की अपील की थी। नारी-मुक्ति की समर्थक सरोजिनी नायडू का यह मानना था कि भारतीय नारी कभी भी कृपा की पात्र नहीं थी, वह सदैव से समानता की अधिकारी रही हैं। उन्होंने अपने इन विचारों के साथ महिलाओं में आत्मविश्वास जाग्रत करने का काम किया। राज्यपाल के पद पर रहते हुए उनका 2 मार्च, 1949 को निधन हो गया था।