5th October Dolphin Day: भारत में हर साल 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस मनाया जाता है। डॉल्फिन के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। गंगा नदी की डॉल्फिन या प्लैटनिस्टा गैंगेटिका जिसे आमतौर पर सून्स के रूप में भी जाना जाता है इसकी प्रजाति के लुप्त होने का खतरा बढ़ गया है। यह भारत, बांग्लादेश की गंगा ब्रह्मपुत्र मेघना और कर्णफुली एवं सांगू नदी के संगम पर पाई जाती है। आओ जानते हैं डॉल्फिन के बारे में 5 रोचक बातें।
1. सबसे लंबी याददाश्त : अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्यों के बाद सबसे लंबी याद्दाश्त डॉल्फिन मछली की होती है। एक दूसरे से अलग होने के 20 साल बाद भी डॉल्फिन अपने पूर्व साथियों की सीटी जैसी आवाज पहचान लेती हैं।
2. तेज दिमाग : डॉल्फिन का दिमाग सबसे तेज माना जाता है क्योंकि यह एक साथ कई भाषाएं सीखने में सक्षम है। इसी के साथ यह एक साथ कई चित्रों को याद रखकर उन्हें पहचान सकती है। यह हर व्यक्ति को जो उससे जुड़ा है उसे अच्छे से पहचाने में सक्षम है। यह इंसानों की भाषा समझती है और उनके आदेश का पालन करती है। जैसे एक ट्रेंड कुत्ता इंसान के इशारों को समझता है डॉल्फिन उससे कई गुना तेजी से देख और समझ लेती हैं।
3. सामाजिक प्राणी : लंबी याददाश्ता होने के कारण यह एक सामाजिक प्राणी है जो रिश्तों की संवेदनशीलता को समझती है। शोधकर्ताओं के अनुसार डॉल्फिनों की यह विशेषता उन्हें मनुष्यों, चिम्पांजी और हाथियों की दुनियादारी की समझ के करीब ला खड़ा करती है। यह आपस में क्लिक और सीटियों वाली भाषा में संवाद करती हैं। मां सालों तक अपने बच्चों के साथ रहती हैं और उन्हें जरूरी बातें सिखाती हैं।
4. नाम से पुकारने वाला एकमात्र जीव : बॉटलनोज डॉल्फिन्स का दिमाग इंसानों जैसा है। इनके अपने अलग अलग नाम होते हैं और वे एक-दूसरे को इन्हीं नामों से पुकारते हैं। इंसान के बाद यह अकेला जीव हैं जो एक दूसरे को नाम से बुलाते हैं। शोधकर्ता स्टेफानी कहती हैं कि छोटे झुंड में रहने वाले ये नर डॉल्फिन्स एक-दूसरे को खास आवाज देकर बुलाते हैं और मादा डॉल्फिन्स को दुश्मन खेमे से लाने और रिझाने के लिए भी वे ऐसा करते हैं।
5. गंगा डॉल्फिन : गंगा डॉल्फिन भारत का जल जीव घोषित है। चीन में यांग्त्से नदी में बायजी डॉल्फिन, पाकिस्तान में सिंधु नदी में भुलन डॉल्फिन और दक्षिण अमेरिका में अमेजन नदी में बोटो भी डॉल्फिन पाए जाते हैं, जो खत्म होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। समुद्र में डॉल्फिनों की दूसरी जातियां होती हैं। मीठे पानी के डॉल्फिन कई कारणों से खतरे में हैं। उनके तेल को पाने के लिए अवैध शिकार के अलावा वह मछुआरों की जालों में भी फँस कर मर जाते हैं। इसके अलावा नदियाँ प्रदूषित होती जा रही है और बाँध बनाने की वजह से वह एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और उनका प्रजनन नहीं हो पाता।