मर्दानगी साबित करने के लिए यहां लड़के हंसते-नाचते झेलते हैं जहरीली चींटियों का डंक, वर्ना नहीं हो पाती है शादी

WD Feature Desk

गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (12:42 IST)
Satere Mawe Tribe

What is Bullet Ant Ritual:  ये दुनिया विचित्रताओं से भरपूर है। और इसे और विचित्र बनाते हैं हम इंसानों के बनाए अफलातूनी रिवाज। आज भी दुनिया में कुछ ऐसी जनजातियां हैं जिनकी अजीबो गरीब प्रथाएं आपको हैरत में डाल देंगी। इस आलेख में हम आपको ब्राजील की एक ऐसी जनजाति के बारे में बता रहे हैं जहां लड़के खुद को चींटियों से कटवाने के बाद ही मर्द बन पाते हैं।

हम बात कर रहे हैं अमेजन की साटेरे-मावा ट्राइब्स जहां एक ख़ास उम्र में पहुँचने पर लड़कों को इस अजीब रिवाज से गुज़ारना होता है। खास बात ये है कि इस अजीबोगरीब टेस्ट को पास किए बिना इन लड़कों की शादी भी नहीं हो पाती है। आइए आपको बताते हैं इस प्रथा से जुड़ी कुछ रोचक बातें।  

मर्दानगी साबित करने का अजीब टेस्ट
ये बात सुनने में हमारे लिए अजीब हो सकती है लेकिन अमेजन के जंगलों में रहने वाली यह जनजाति सदियों से इस परंपरा को निभाती आ रही है। अमेजन के साटेरे-मावा जनजाति के लड़कों को अपनी मर्दानगी को साबित करने और खुद को वयस्क साबित करने के लिए इस अजीबोगरीब ट्रेडिशन से गुजरना पड़ता है। इस तरह पूरे समुदाय के सामने ये बात साबित हो जाती है, कि वे अब बच्चे नहीं रहे और बड़े हो चुके हैं।

बहुत दर्दनाक है यह टेस्ट?
मान्यता के मुताबिक यहां के युवक अपनी मर्दानगी को साबित करने के लिए बुलेट प्रजाति की एंट से खुद को कटवाते हैं।  बुलेट प्रजाति की एंट चींटियों की खतरनाक और जहरीली प्रजाति है। इस रस्म को पूरा करने के लिए एक-दो नहीं, बल्कि ढेरों चींटियों से भरे दस्तानों में हाथ डालना पड़ता है। इन ज़हरीली चींटियों के दंश से भयानक दर्द होता है, लेकिन युवकों को दर्द को नज़रअंदाज़ कर नाचना होता है।

हालांकि इस तरह चींटियों के कटवाने से कई दिन बाद तक हाथों में सूजन बनी रहती है और कुछ भी छूना या पकड़ना मुश्किल होता है, लेकिन इस तरह ये साबित हो जाता है कि वे दर्द सहने लायक मर्द बन पाए हैं या नहीं।
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कैसे पूरी करते हैं प्रथा?
इस प्रथा को अंजाम देने के लिए लड़कों को सबसे पहले बुलेट एंट जुटानी होती हैं। इसके लिए 12 साल या इससे ज्यादा की उम्र के लड़कों को जंगल जाना होता है। उन्हें जंगल जाकर लकड़ी के दस्ताने बनाने पड़ते हैं और इसमें चींटियों को जमा करना होता है।

इसके बाद पारंपरिक डांस होता है और इस बीच टेस्ट में शामिल होने वाले लड़कों को को कम से कम 20 बार इन दस्तानों को बदलना पड़ता है। कहते हैं कि इस परीक्षा के दौरान मधुमक्खी के काटने से भी तीन गुना ज्यादा दर्द होता है।

वैसे कहा ये भोई जाता है कि इस ट्रेडिशन का मकसद इस जनजाति के युवाओं को यह सन्देश देना भी होता है कि दर्द के बिना इस दुनिया में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता है।  इसी टेस्ट को पास करने के बाद उन्हें शादी के योग्य माना जाता है।


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