वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 7 मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अस्थायी बैन के फैसले के बाद दूसरे देशों से अमेरिका में जॉब के लिए आने वाले प्रॉफेशनल्स पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। 'हायर अमेरिकन' की अपनी नीति पर चलते हुए ट्रंप ने एच1बी वीजा की शर्तों को सख्त करने के लिए अमेरिकी संसद में बिल रखा है। अगर यह बिल पास हो गया तो भारतीय आईटी प्रॉफेशनल्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
ट्रंप सरकार ने हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में एच1बी बिल पेश किया है, जिससे अमेरिकी वीजा पाना पहले
से मुश्किल हो जाएगा। अमेरिकी संसद में जैसे ही यह बिल पेश हुआ, आईटी कंपनियों के शेयर गिर गए। बिल में एच-1बी वीजा के लिए न्यूनतम वेतन की सीमा को दोगुने से ज्यादा बढ़ाते हुए 1,30,000 अमेरिकी डॉलर करने का प्रस्ताव है जबकि फिलहाल यह सीमा 60,000 अमेरिकी डॉलर है। इससे कंपनियों को अमेरिकी कर्मचारियों की जगह भारत समेत दूसरे देशों से आने वाले प्रॉफेशनल्स को रखना
उल्लेखनीय है कि द हाई स्किल्ड इंटेग्रिटी ऐंड फेयरनेस ऐक्ट 2017 के तहत एच-1बी वीजा के लिए 1989 से चले आ रहे 60 हजार अमेरिकी डॉलर के न्यूनतम वेतन को दोगुने से ज्यादा बढ़ाने का प्रस्ताव है। इस विधेयक को कैलिफोर्निया के सांसद जोए लोफग्रेन ने हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पेश किया। लोफग्रेन ने कहा, 'यह मार्केट-बेस्ड सलूशन पेश करता है जो उन कंपनियों को प्राथमिकता देता है जो सबसे ज्यादा वेतन देना चाहती हैं। यह अमेरिकी नियोक्ता की उस टैलेंट तक पहुंच सुनिश्चित करता है जिसकी उन्हें जरूरत है।'
इसी से जुड़े एक और घटनाक्रम में सीनेटर शेरॉड ब्राउन ने ऐलान किया है कि वह सीनेट में एच-1बी , ऐंड एल-1 वीजा रिफॉर्म ऐक्ट पेश करेंगे जो उनके मुताबिक अमेरिकी कर्मचारियों और वीजा धारकों दोनों को पहले से ज्यादा सुरक्षा देगा। ब्राउन ने कहा, 'हमें अमेरिकन फेयर वेजेज से बचने के लिए धोखाधड़ी और दुरुपयोग का सहारा लेने और विदेशी कर्मचारियों का शोषण करने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसने की जरूरत है।'
भले ही दावा यह किया जा रहा हो कि नया वीजा कानून विदेशी कर्मचारियों के हित में होगा और उनका शोषण रूकेगा, लेकिन हकीकत में इससे एच1बी वीजा पाना मुश्किल हो जाएगा। माना जा रहा है कि ट्रंप सरकार के इस कदम से न केवल एच1बी और एल1 वीजा पर शिकंजा कसेगा बल्कि इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा।
गौरतलब है कि ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों में विदेशी कामगारों की नौकरी के मुद्दे को अपने चुनाव अभियान में जोर-शोर से उठाया था और राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी वह लगातार कहते रहे कि अमेरिकियों की जगह विदेशी कामगारों को नौकरी पर रखे जाने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने डिज्नी वर्ल्ड और उन दूसरी अमेरिकी कंपनियों का हवाला दिया जहां भारतीय कामगारों समेत H-1B वीजा पर अमेरिका आए अन्य विदेशियों ने अमेरिकियों की नौकरियां कथित तौर पर छीन लीं। (एजेंसी)