Former Governor Satyapal Malik passed away: जम्मू कश्मीर के अंतिम राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक का दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मलिक पिछले काफी समय से अस्पताल से अस्पताल में भर्ती थे। वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। मलिक राज्यपाल पद छोड़ने के बाद मोदी सरकार की आलोचना के कारण विवादों के घेरे में आ गए थे।
मलिक का राजनीतिक जीवन : मलिक कई राज्यों के राज्यपाल रहे, जिनमें बिहार, जम्मू और कश्मीर, गोवा और मेघालय शामिल हैं। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वे 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल के टिकट पर पहली बार बागपत से विधायक चुने गए। मलिक 1980 से 1989 तक राज्यसभा के सदस्य रहे और 1989 से 1991 तक अलीगढ़ से लोकसभा सांसद रहे।अपने राजनीतिक जीवन में वे कई पार्टियों से जुड़े रहे, जिनमें भारतीय क्रांति दल, लोक दल, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी और भाजपा शामिल हैं। मलिक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे थे।
मलिक से जुड़े विवाद : जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए सत्यपाल मलिक ने यह दावा किया था कि उन्हें 2200 करोड़ रुपए की किरू जलविद्युत परियोजना से जुड़ी दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी। उनके इस बयान के बाद सीबीआई ने 2022 में इस मामले में जांच शुरू की थी। मई 2025 में सीबीआई ने इस मामले में मलिक और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मलिक ने इन आरोपों को 'झूठा' बताया और दावा किया कि यह उन्हें फंसाने की साजिश है।
मलिक ने पुलवामा हमले (2019) को लेकर भी केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि सरकार ने सीआरपीएफ के जवानों को हवाई जहाज देने के उनके अनुरोध को ठुकरा दिया था, जिसकी वजह से जवानों को सड़क मार्ग से यात्रा करनी पड़ी और यह हमला हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले में लापरवाही बरती और खुफिया जानकारी की विफलता को छिपाने की कोशिश की।
मोदी सरकार के मुखर आलोचक : राज्यपाल के पद से हटने के बाद तो मलिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के मुखर आलोचक बन गए थे। उन्होंने किसान आंदोलन का भी समर्थन किया और सरकार के कृषि कानूनों की आलोचना की। इतना ही नहीं उन्होंने पीएम मोदी को डरपोक तक कहा था। सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद मलिक को अपने जीवन के अंतिम दिनों में काफी कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। उनका कहना था कि सरकार उन्हें परेशान करने की कोशिश कर रही है क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।