ठंड से बचने के लिए लोगों के कोयला, लकड़ी, कार टायर और यहां तक कि कूड़ा जलाने से निकल रहे प्रदूषक तत्वों की मात्रा हवाओं में तेजी से बढ़ रही है। सुबह एवं शाम को तापमान के शून्य से नीचे चले जाने की वजह से प्रदूषण इस दौरान चरम पर रहता है।
चिकित्सक भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं जिन्होंने सांस संबंधी बीमारियों के अचानक बढ़ जाने की बात मानी है। काबुल के इंदिरा गांधी बाल अस्पताल के आईसीयू के चिकित्सक अकबर इकबाल ने बताया, पिछले कुछ सालों में हमारे 30 से 40 प्रतिशत मरीज घातक श्वसन संक्रमणों से पीड़ित रहे हैं लेकिन इस साल यह आंकड़ा 70 से 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी (एनईपीए) के पूर्व अधिकारी ने इस सर्दी के प्रदूषण को जानलेवा बताया है।