सामाजिक एवं पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाले एएसएआर सोशल इम्पैक्ट एडवाइजर्स द्वारा ‘परसेप्शन स्टडी ऑन एयर क्वालिटी’ विषय पर किए गए अध्ययन में कहा गया कि मेट्रो शहरों की तुलना में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लोगों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सूक्ष्म कण (पीएम) 2.5 और पीएम 10 के बारे में जागरुकता अधिक है।
अध्ययन के लिए 17 शहरों में कुल 5,000 लोगों का साक्षात्कार किया गया। अध्ययन के अनुसार दिल्ली में 89 प्रतिशत लोगों का मानना है कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण उन्होंने बीमार या बेचैनी महसूस की। अधिकतर का मानना है कि वाहनों और पेड़ों का गिरना प्रदूषण का प्रमुख कारण है।
वायु गुणवत्ता में कमी आने के पीछे चार प्रमुख कारणों में मोटर वाहन (74 प्रतिशत), औद्योगिक ईकाइयों (58 प्रतिशत), पेड़ों की कटाई (56.9 प्रतिशत) और निर्माण गतिविधियां (48.2 प्रतिशत) शामिल हैं।
अध्ययन में भारी वायु प्रदूषण वाले शहरों दिल्ली-एनसीआर, कोलकाता, पटना, लखनऊ, वाराणसी, अमृतसर, सिंगरौली, धनबाद, रायपुर, कोरबा, चंद्रपुर, अंगुल, नागपुर को शामिल किया गया है और बेंगलुरु, पुणे, मुंबई और चेन्नई जैसे शहर तेजी से प्रदूषित हो रहे हैं। अध्ययन के अनुसार एक्यूआई सूचना के दो प्रमुख स्रोतों में अखबार और मोबाइल ऐप्स हैं।