हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में आयोजित एक पैनल चर्चा में अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने दावा किया कि ट्रूडो उन लोगों के हाथों की कठपुतली बन रहे हैं, जो खालिस्तानी आंदोलन को अहं और लाभ के आंदोलन के रूप में देखते हैं।
रुबिन ने कहा कि ट्रूडो के शर्मनाक और निंदनीय कदम को लेकर चौंकाने वाली बात यह है कि वह निज्जर की हत्या मामले में तो बयान दे रहे हैं, लेकिन देश की पुलिस पाकिस्तान की कथित मदद से हुई करीमा बलूच की हत्या की जांच कर रही है और प्रधानमंत्री कार्यालय ने अब तक इस मामले का संज्ञान नहीं लिया है।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, तो सवाल यह उठता है कि अगर लोकलुभावन राजनीति नहीं की जा रही है, तो यह विरोधाभास क्यों है? इससे जस्टिन ट्रूडो को लंबी अवधि में मदद मिल सकती है, लेकिन यह अच्छा नेतृत्व नहीं है। हमें यहां (अमेरिका में) और कनाडा में हमारे नेताओं के अधिक जिम्मेदाराना रुख अपनाने की जरूरत है, क्योंकि वे आग से खेल रहे हैं।
रुबिन ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ बाहरी तत्व खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह कोशिश रंग लाएगी। मैं नहीं चाहता कि अमेरिका बाहरी तत्वों की इस तरह की निंदक चालों को स्वीकृति दे। अचानक किसी अलगाववादी आंदोलन को फिर से उभरते देखना और तर्क देना कि यह वैध है, एक बहुत बड़ी गलती होगी।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)