ह्यूस्टन। अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसा तरीका विकसित किया है जिससे अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर लौटने के बाद किसी तरह की परेशानी न हो यानि उनके बेहोश होने की आशंका कम हो।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर बेंजमिन लिवाइन ने कहा, 'मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से ही सबसे बड़ी समस्या यह रही है कि अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटने के बाद बेहोश हो जाते थे। गुरुत्वाकर्षण मुक्त वातावारण में जितना वक्त बिताया जाता है, खतरा भी उतना ही बढ़ जाता है।'
टेक्सास हेल्थ प्रेसबाइटेरियन हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सरसाइज एंड इन्वायरन्मेंटल मेडिसिन के निदेशक लेवाइन ने कहा, “यह समस्या लंबे समय से अंतरिक्ष कार्यक्रमों की परेशानी बनी हुई है लेकिन यह स्थिति ऐसी है जिसे अकसर सामान्य लोग भी महसूस करते हैं।”
चक्कर आना या बेहोश होना रक्त के प्रवाह में बदलाव होने के कारण होता है जो ज्यादा समय तक बेड रेस्ट लेने, या कुछ निश्चित बीमारियों या फिर अंतरिक्ष यात्रियों के मामले में कम गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में रहने के चलते होते हैं। यह अध्ययन 12 अंतरिक्ष यात्रियों पर किया गया जो करीब छह महीने तक अंतरिक्ष में रहे।
सभी ने उड़ान के दौरान रोजाना दो घंटे व्यायाम प्रशिक्षण किया ताकि नसों, हड्डियों या मांसपेशियों में किसी तरह की परेशानी न हो। उन्हें लैंडिंग के दौरान सलाइन भी दिया गया। साथ ही अंतरिक्ष में जाने से पहले, वहां रहने के दौरान और अंतरिक्ष से वापस आने के बाद 24 घंटे की अवधि में उनकी प्रत्येक धड़कन के साथ उनका रक्तचाप मापा गया।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि लैंडिंग के 24 घंटे के बाद किसी भी अंतरिक्ष यात्री को चक्कर आने या बेहोशी जैसा नहीं महसूस हुआ। (भाषा)