लखनऊ के शुभांशु शुक्ला भरेंगे स्पेस की उड़ान, राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय, जानिए AX-4 मिशन की पूरी कहानी

WD Feature Desk

शुक्रवार, 30 मई 2025 (17:27 IST)
Axiom Mission 4 pilot Shubhanshu Shukla : अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती उपस्थिति के साथ, एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom Mission 4 (Ax-4) के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले हैं। यह मिशन न केवल शुभांशु के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा, जो देश के गगनयान मिशन की तैयारियों को भी मजबूती देगा। 1984 में राकेश शर्मा के बाद वे स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। आइये जानते हैं क्या है मिशन AX-4 और भारत के लिए यह किस तरह है महत्वपूर्ण साथ ही जानेंगे कौन हैं शुभांशु शुक्ला:

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। 1999 के कारगिल युद्ध ने उन्हें भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में ही पूरी की और सिर्फ 16 साल की उम्र में नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के लिए चुने गए। 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद, वे एक अनुभवी टेस्ट पायलट बन गए। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे विभिन्न विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी है। 2019 में ISRO ने उन्हें प्रतिष्ठित गगनयान मिशन के लिए चुना, जिसके तहत उन्होंने रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में व्यापक प्रशिक्षण लिया और बेंगलुरु में आगे की ट्रेनिंग पूरी की। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया। शुभांशु शुक्ला अब अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखेंगे।

क्या है Axiom Mission 4 (Ax-4)
Ax-4, Axiom Space नामक एक निजी कंपनी का चौथा अंतरिक्ष मिशन है, जो NASA और SpaceX के साथ मिलकर किया जा रहा है। यह मिशन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाएगा, जहां चालक दल 14 दिनों तक रहेगा। इस दौरान वे विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों, तकनीकी प्रदर्शनों और जन जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेंगे। यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी जैसे देशों के लिए अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ेगा, क्योंकि 40 साल से भी अधिक समय बाद इन सभी देशों की यह पहली सरकार-प्रायोजित अंतरिक्ष यात्रा होगी।

ये हैं Ax-4 मिशन की मुख्य बातें:
लॉन्च तारीख: 8 जून 2025, शाम 6:41 बजे IST
लॉन्च स्थान: NASA का कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका
अंतरिक्ष यान: SpaceX का ड्रैगन अंतरिक्ष यान, जिसे फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
अवधि: 14 दिन तक ISS पर रहेगा।
लागत: भारत ने इस मिशन के लिए लगभग 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण : शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय होंगे।
महत्व: यह मिशन भारत के गगनयान मिशन के लिए अमूल्य अनुभव प्रदान करेगा, जो 2026 में भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। यह वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा और अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा।

Ax-4 मिशन में कौन-कौन जा रहा है?
शुभांशु शुक्ला के साथ, Ax-4 मिशन में एक अंतरराष्ट्रीय दल शामिल होगा:
पेगी व्हिट्सन (कमांडर): पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और ऐक्सियोम स्पेस की मानव अंतरिक्ष यान उड़ान निदेशक। वे अमेरिका की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं, जिनके पास 675 दिन से अधिक का अंतरिक्ष अनुभव है।
स्लावोस उज़्नांस्की (मिशन विशेषज्ञ): पोलैंड से, जो ESA के अंतरिक्ष यात्री हैं। यह पोलैंड की 1978 के बाद पहली मानव अंतरिक्ष यात्रा होगी।
टिबोर कपु (मिशन विशेषज्ञ): हंगरी से, जो हंगेरियन स्पेस ऑफिस का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह हंगरी की सोवियत संघ के पतन के बाद पहली अंतरिक्ष यात्रा होगी।
यह चालक दल ISS पर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा, जिसमें अंतरिक्ष में कंप्यूटर स्क्रीन के संज्ञानात्मक और दृश्य प्रभावों की जांच, सूक्ष्म गुरुत्व में अस्थि मांसपेशी शिथिलता का अन्वेषण, और अंतरिक्ष में विभिन्न फसल बीज किस्मों के अंकुरण और विकास का अध्ययन शामिल है।

कैसी होगी आगे की राह
शुभांशु शुक्ला का Ax-4 मिशन सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष सपनों की उड़ान है। यह मिशन देश के गगनयान कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा और भविष्य में एक स्वतंत्र भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। शुभांशु की यह उपलब्धि हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कुछ भी संभव है। अंतरिक्ष में भारत का यह नया कदम निश्चित रूप से वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा।

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