इससे भी ज्यादा हैरानी तो इस बात पर होती है कि यदि ऐसा न हो तो यह विवाह सम्पन्न नहीं समझा जाता। दरअसल, शराब पीना हमारे सभ्य समाज में गलत समझा जाता है इसलिए कोई मां-बाप यह नहीं चाहेगा कि उनकी बेटी का विवाह ऐसे घर में हो जहां दूल्हा शराब पीता हो।
बारात जब दुल्हन लेने गांव पहुंचती है तो सबसे पहले शराब का ही शगुन किया जाता है। एक अन्य चौंकाने वाली बात यह भी है कि यहां बिना किसी पंडित के शादी हो जाती है। दरअसल, बैगा आदिवासियों की शादी में कोई पंडित नहीं होता और न ही कोई विशेष सजावट होती है।
वनांचल में निवासरत बैगा शादी रचाने और दुल्हन लाने के लिए आज भी पूरी बारात मीलों दूर पैदल चलकर जाती है। शादी का पंडाल सिर्फ पेड़ों की पत्तियों से बनाया जाता है। तमाम रस्मों को पूरा करने के बाद दूल्हा दौड़ लगाकर दुल्हन को पकड़ लेता है। और फिर उसे अपनी अंगूठी पहना देता है और दोनों को पति-पत्नी की मान्यता मिल जाती है।