ब्योमांट, टेक्सास की केरिशा मार्क के एक समय पर वक्ष 36एनएनएन साइज के थे। या कह सकते हैं कि ये दुनिया में सबसे बड़े प्राकृतिक वक्ष थे। चालीस वर्ष की उम्र में इनका आकार इतना अधिक बढ़ गया था कि उन्हें बहुत सारी बीमारियां हो गईं। उन्हें लगा कि उनकी इस असामान्य वृद्धि से उनकी जान भी जा सकती है तो उन्होंने डॉक्टर की सलाह से ऑपरेशन करवा लिया। इस कारण से उनकी छाती में तेज दर्द रहता, वे माइग्रेन से पीड़ित रहने लगीं और उनकी पीठ में लगातार दर्द रहने लगा।
प्लास्टिक सर्जन डॉ. फ्रेंकलिन रोज का कहना है कि जब वे उनके पास ऑपरेशन कराने पहुंची तो उनके वक्ष इतने बड़े थे कि डॉक्टर ने भी अपने जीवन नहीं देखे थे। डॉक्टर ने उनके स्तनों का ऑपरेशन कर 15 पाउंड ब्रेस्ट टिशू निकाल दिए और इसके बाद उनका जीवन सामान्य हो सका और वे अब व्यायाम करने के बारे में भी सोच रही हैं। विदित हो कि यह स्थिति हारमोन का संतुलन गड़बड़ाने से हुई थी और वे जाइगैंटोमैस्टिया नामक बीमारी की शिकार हो गई थीं। उन्हें लगने लगा था कि हार्ट अटैक या ब्रेन ट्यूमर से उनकी जान जा सकती है।
डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि उनकी यह हालत असाधारण रूप से बड़े स्तनों के कारण है। मेल ऑनलाइन में लिजी पेरी लिखती हैं कि इस स्थिति के चलते वे ना तो दौड़ सकती थीं न ही कोई व्यायाम कर पाती थीं। वर्षों तक उन्होंने विचार किया कि सर्जरी ही इसका एकमात्र हल है। उन्होंने अपने चालीसवें जन्मदिन पर ऑपरेशन कराने का फैसला किया। वे कहती हैं कि एक मायने में यह उनके लिए असली हैप्पी बर्थडे था। वे बताती हैं कि उनके युवा दिनों में ही उनके वक्ष बहुत बड़े थे और इस कारण से उन्हें बहुत सारी परेशानियां आती थीं।
जब वे ऑपरेशन के लिए जा रही थीं तो कैमरे वाले भी पहुंच गए थे। उस समय उन्होंने बताया कि जब वे पहली बार बूट कैम्प में पहुंची तो उन्हें उछलना था। जब उन्होंने ऐसा किया तो उनकी ब्रा टूट गई थी। ह्यूस्टन, टैक्सास के डॉक्टर फ्रेंकलिन रोज ने उनका ऑपरेशन किया।
उन्होंने द पोस्ट को बताया कि उपने 35 वर्ष के करियर में उन्होंने किसी भी पेशेंट के इतने बड़े वक्ष नहीं देखे थे। इस ऑपरेशन के बाद उनका अब 15 पौंड वजन कम हो गया और अब उनके शरीर डीडी कप्स में आ जाता है। डॉ. रोज का कहना था कि उसके ब्रेस्ट्स वास्तव में उसके हिप्स पर बहुत भारी थे। उनकी स्थिति ऐसी थी मानो एक समय पर उसके शरीर में तीन बास्केटबॉल्स लगा दी गई हों। पर अब वे परेशानी रहित भविष्य के साथ जी रही हैं।