लंदन। बर्मिंघम विश्वविद्यालय (Birmingham University) ने एक विवादास्पद सोशल मीडिया (social media) पोस्ट को हटाते हुए माफी मांगी है। इस पोस्ट में ऐसा लग रहा था कि सिख विद्यार्थियों को मुसलमान समझने की भूल हुई है। 'बर्मिंघम मेल' की खबर के अनुसार विश्वविद्यालय द्वारा किए गए पोस्ट में कहा गया था कि इस माह के प्रारंभ में विश्वविद्यालय की सिख सोसाइटी द्वारा आयोजित 20वां 'लंगर ऑन कैंपस' कार्यक्रम इस्लामिक जागरूकता सप्ताह का हिस्सा था।
विश्वविद्यालय के इंस्टाग्राम एकाउंट पर एक पोस्ट में लंगर की तस्वीरें टैग की गईं और उसके साथ 'डिस्कवर इस्लाम वीक' लिखा गया। सिख प्रेस एसोसिएशन के प्रवक्ता जसवीर सिंह ने कहा कि यह देखकर न केवल निराशा बल्कि आश्चर्य भी हुआ है कि जिन लोगों पर बर्मिंघम विश्वविद्यालय की छवि का जिम्मा है, वे विश्वविद्यालय में समुदायों को लेकर अनभिज्ञ हैं।
एसोसिएशन ने ही अपने सोशल मीडिया मंचों पर विश्वविद्यालय की इस गलती को प्रमुखता से उजागर किया। सिंह ने कहा कि यह स्पष्टत: विश्वविद्यालय कर्मियों को दिए जा रहे प्रशिक्षण एवं शिक्षण का मुद्दा है। सिख दशकों से बर्मिंघम विश्वविद्यालय समुदाय का एक अहम हिस्सा रहे हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय की इस गलती को 'स्तब्धकारी' एवं 'अविश्वसनीय' बताया।
विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि इससे (सोशल मीडिया पोस्ट से) लोगों के मन को जो ठेस पहुंची है, उसके लिए विश्वविद्यालय दिल से माफी मांगता है। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि यह पोस्ट त्रुटिपूर्ण था। पोस्ट किए जाने के शीघ्र बाद गलती पकड़ में आई और उसे तत्काल हटा लिया गया।
आगे कहा कि विश्वविद्यालय अपने समुदाय की विविधता का सम्मान करता है और उसे उन पर गर्व है। वह स्वागतयोग्य एवं समावेशी माहौल प्रदान करने के लिए प्रयासरत रहेगा। हमने सीधे संबंधित व्यक्तियों एवं संगठनों से माफी मांगने एवं उनकी राय जानने के लिए उनसे संपर्क किया है। विश्वविद्यालय परिसर में पहला लंगर 20 साल पहले लगाया था। इस महीने इसका 20वां साल था।(भाषा)(फोटो सौजन्य : ट्विटर)