सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट में विज्ञान विभाग के उपनिदेशक झांग चायोयुआन के हवाले से कहा गया है कि 11 वर्ष के अनुसंधान कार्य के लिए प्रांतीय सरकार ने धन दिया था, क्योंकि वह इस जंगली जड़ी-बूटी की कमी को दूर करना चाहती थी।
चीन में ‘विंटर वार्म, समर ग्रास’ के नाम से मशहूर इस कवक का छोटा-सा टुकड़ा उस इलाके में भी सोने के भाव में बिकता है, जहां यह उगता है। यह जंगली कवक उस क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती लोगों के आय का प्रमुख स्रोत रहा है। (भाषा)