विश्व के एक तिहाई बच्चे हिंसा का शिकार

शुक्रवार, 21 नवंबर 2014 (13:00 IST)
न्यूयॉर्क। विश्व के लगभग एक तिहाई बच्चे शिक्षा के अभाव में काम करने को मजबूर तथा हिंसा का शिकार होते हैं।

अमेरिकी बाल अधिकार समझौता की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के एक तिहाई बच्चों के संरक्षक उन्हें हिंसा का शिकार होने से नहीं बचा पाते।

बाल विकास के लिए काम करने वाली अमेरिका स्थित वैश्विक संस्था ने 'स्माल वाइसेज, बिग ड्रीम्स' नाम से 5 महाद्वीपों के 44 देशों के 10 से 12 आयु वर्ग के 6,000 बच्चों से साक्षात्कार किया। इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि बच्चों को शुरुआती चरण में तिहरा खतरा होता है। घर और सड़कों में हिंसा का खतरा शिक्षा की कमी होना और मजदूरी करने के लिए बाध्य होना।

रिपोर्ट में अफगानिस्तान के एक 12 वर्षीय बच्चे साहर ने बताया कि अधिकतर बच्चे आत्मघाती विस्फोट में मारे जाते हैं और बहुतों को कारखानों और ईंटों के भट्टे में काम करना पड़ता है। इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

चाइल्ड फंड इंटरनेशनल्स (सीएफआई) कम्युनिकेशन के निदेशक बेट्से एडवर्ड्स ने बताया कि मजदूरी करने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या चौंकाने वाली है।

सीएफआई के अध्यक्ष अन्ने ल्यिनाम गोडर्ड ने कहा कि यद्यपि बच्चों की प्रगति के लिए बहुत काम हो चुका है, परंतु अभी भी हमें एक लंबा रास्ता तय करना है।

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में बाल अधिकारों पर आयोजित इस कार्यक्रम में सभी ने बच्चों की दयनीय स्थिति में दुख जताया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि हमें इस दिशा में अधिक से अधिक काम करना होगा।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 में 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 66 लाख बच्चों की मौत हो गई जबकि इसी वर्ष 5 से 17 वर्ष के 16 करोड़ 80 लाख बच्चे मजदूरी में लगे हैं। इसके अलावा 15 वर्ष से कम आयु की 11 प्रतिशत लड़कियों का कम आयु में विवाह हुआ है।

ज्ञात है कि बाल अधिकारों की हिमायती करने वाला यह समझौता इतिहास की सबसे व्यापक अंगीकृत संधि है। इसे 194 देशों ने मान्यता दी है। इसके गठन का उद्देश्य विश्व में बाल अधिकारों का विकास तथा उनकी रक्षा करना है। (वार्ता)

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