...तो क्या कोलम्बस ने नहीं किन्नर ने की थी अमेरिका की खोज?

बुधवार, 4 जनवरी 2017 (19:50 IST)
अब तक हमें यह बताया जाता है कि अमेरिका की खोज कोलम्बस ने भूलवश की थी। वह भारत की खोज करने निकला था लेकिन पहुंच अमेरिका के तट पर गया था। पर हाल ही सामने आए एक चीनी नक्शे में दावा किया गया है कि चीन के एक मुस्लिम किन्नर ने कोलम्बस के अमेरिकी तट पर पहुंचने से 70 वर्ष पहले कर दी थी।
चीनी नक्शों में जो जानकारी दी गई है, उसके अनुसार 1405, एक चीनी मुस्लिम हिजड़े, झेंग ही, ने अपनी सात समुद्री यात्राओं में से पहली यात्रा की शुरुआत की थी। चीन के शक्तिशाली मिंग राजवंश की ओर से एक लंबा समुद्री बेड़ा और पर्याप्त धन उपलब्ध कराया गया था। वह पहले अफ्रीका के पूर्वी समुद्री तट पर पहुंचा और बाद में फारस की खाड़ी में गहराई तक चला गया था। उसकी इस यात्रा को हम सच मानते, जानते हैं।
 
पर कुछ लोगों का कहना है कि वह इससे भी कहीं आगे गया था और इस दावे के समर्थन में 1418 के एक नक्शे की अठारहवीं सदी में सामने आई एक नक्शे की प्रति का उल्लेख किया जाता है। इस नक्शे को 'जनरल चार्ट ऑफ द इंटीग्रेटेड वर्ल्ड' का नाम दिया गया है और नक्शे में दावा किया गया है कि झेंग ही ने किस दुनिया की खोज की थी। अगर यह सच्चाई है और उसने सारी दुनिया का जहाज से परिभ्रमण किया और उसने कोलम्बस के अमेरिका की खोज करने से करीब 70 वर्ष पहले इसकी खोज कर ली थी।
 
यह नक्शा 2001 में उस समय प्रकाश में आया था जबकि शंघाई के एक वकील, ल्यू गैंग, का कहना है कि उसने यह नक्शा एक स्थानीय दुकानदार से करीब 500 डॉलर में खरीदा था। ल्यू का मानना है कि यह नक्शा बताता है कि झेंग ने दोनों ध्रुवों, अमेरिका, भूमध्यसागरीय क्षेत्रों और ऑस्ट्रेलिया की भी यात्रा की थी। इसके अलावा, वर्ष 2003 में गेविन मेंजीज ने इसे अपनी पुस्तक,  
'1421-वर्ष जिसके दौरान चीन ने दुनिया को पता लगाया।' 
 
नक्शे में सभी महाद्वीपों को चित्रित किया गया है और इस नक्शे में चीन में बने नक्शों की तरह से ही परंपरागत तरीकों से देशों, नदियों और पहाड़ों को चित्रित किया गया है। इस विस्तृत नक्शे में तत्कालीन दुनिया में पृथ्वी को गोलार्धों में चित्रित किया गया है। इसमें हिमालय की तराई के उस हिस्से को भी दर्शाया गया है जिसमें झेंग ही पैदा हुआ था।
 
इतनी सारी विस्तृत विशेषताओं में एक खास बात यह थी कि केवल यूरोप के लोग ही पृथ्वी को दर्शाया करते थे। यूरोपीय लोग सैकड़ों वर्षों से जहाजों पर सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाते रहते थे जबकि झेंग की समयावधि केवल तीस वर्ष की है और इससे उसकी उन सामुद्रिक यात्राओं की जानकारी मिलती है जो कि लगभग असंभव लगती है। विदित हो कि मिंग वंशकालीन चीनी नक्शों में आर्कटिक महासागर पहली बार 1593 में दर्शाया गया था। इसी तरह दुनिया की सबसे बड़ी पर्वत श्रंखला केवल 19वीं सदी में दर्शाया गया था।
 
लेकिन इस नक्शे और इसके दावों के बारे में ब्रिटिश कोलंबिया के प्रोफेसर टिमोथी ब्रुक ने 'इस नक्शे को पूरी तरह से बकवास करार दिया था। उनका कहना है कि आप यह भी समझ सकते हैं कि नक्शे के तौर पर आप जो देख रहे हैं वह सत्रहवीं सदी का शुरुआती नक्शा है। लेकिन इसके साथ जुड़ी कहानियों के बारे में वे कहते हैं कि वह एक महान नाविक था लेकिन जब उसकी खोज से संबंधित बातों की तस्दीक 1990 के अंतिम वर्षों में की गई थी तो वह सभी कुछ भूल चुका था, लेकिन उसे चीन का एक राष्ट्रीय नायक करार दिया गया।' ब्रुक कहते हैं कि 'पश्चिम के पास एक कोलम्बस था जबकि चीन को एक कोलम्बस की जरूरत थी।'
 
इस नक्शे की सच्चाई को लेकर भी विवाद हैं लेकिन झेंग ही के दावों को लेकर विवाद हैं इसलिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दुनिया को चीन की देन के बारे में बताते हैं और उसे देश का महान खोजकर्ता बताते हैं लेकिन वे भी यह दावा नहीं कर सके कि अमेरिका की खोज कोलम्बस ने नहीं वरन झेंग ही ने की थी। अगर चीन के इस दावे को मान लिया जाता तो संभव है झेंग ही भी कोलम्बस के समान प्रसिद्ध होता। लेकिन वह चीन में कहां और कैसे मरा, इस बारे में भी किसी कोई जानकारी नहीं है। इसी तरह चीन में बहुत थोड़े से ही लोग उसका नाम जानते हैं।
 
- इस आलेख की लेखिका रोजी ब्लो हैं जोकि चीन में 'द इकॉनोमिस्ट' की प्रतिनिधि हैं और राजधानी पेइचिंग में रहती हैं। 

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