संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का अगर ठीक से उपयोग किया जाए, तो यह अत्याधिक समृद्धि और ज्यादा मौके पैदा कर सकता है। साथ यह भी रेखांकित किया कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है एआई प्रणाली का दुरुपयोग न हो। कहा गया कि एआई अत्यधिक समृद्धि और अवसर उत्पन्न कर सकता है जिससे अत्यधिक उत्पादक और कुशल अर्थव्यवस्थाएं बन सकती हैं।
'सामाजिक न्याय के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता' विषय पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रूचिरा कंबोज ने कहा कि अगर ठीक से उपयोग किया जाए तो एआई अत्यधिक समृद्धि और अवसर उत्पन्न कर सकता है जिससे अत्यधिक उत्पादक और कुशल अर्थव्यवस्थाएं बन सकती हैं।
डॉ. भीमराव आम्बेडकर की 132वीं जयंती के मौके पर भारत के स्थायी मिशन ने गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) 'फाउंडेशन फॉर ह्यूमन होरीज़न' के साथ मिलकर शुक्रवार को यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इस कार्यक्रम की मेज़बानी की थी। कंबोज ने आम्बेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि हम पहले और अंत में भारतीय हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान निर्माता ने इस बात पर जोर दिया था कि सभी भारतीयों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए और उन्हें समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए भले ही उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कैसी भी हो।
राजदूत ने कहा कि भारत सरकार का आदर्श वाक्य 'सबका साथ, सबका विकास' इस बात पर जोर देता है कि एक ऐसा समाज हो जहां सभी को सफल होने के लिए समान अवसर मिलें, भले ही उनकी पृष्ठभूमि या परिस्थिति कुछ भी हो।
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने की जरूरत है कि एआई प्रणाली का दुरुपयोग न हो या पक्षपातपूर्ण रवैये से प्रेरित न हो जिस कारण भेदभाव की आशंका रहती है। कंबोज ने रेखांकित किया कि सामाजिक सशक्तिकरण के लिए एआई का उपयोग करने की भारत की प्रतिबद्धता ने हमें कृषि, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल करने का विचार दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रौद्योगिकी पर दूत अमनदीप सिंह गिल ने आम्बेडकर को 'शक्तिशाली प्रतीक' बताया और कहा कि वह न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे उपमहाद्वीप में दबे-कचले लोगों के लिए समानता और न्याय की लड़ाई के अग्रदूत थे।
उन्होंने कहा कि बाबासाहेब के समय से अन्याय, पूर्वाग्रह, घृणा और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में बुद्धिमान नीतियों, सकारात्मक कार्रवाई और सामुदायिक लामबंदी के माध्यम से बहुत कुछ हासिल किया गया है, लेकिन अब भी ऐसा बहुत कुछ है जिसे न सिर्फ भारत में बल्कि हर जगह बदलना है।
संयुक्त राष्ट्र में सिंगापुर के स्थायी प्रतिनिधि बुरहान गफूर ने कहा कि आम्बेडकर एक दूरदर्शी थे और उनका दर्शन सतत विकास लक्ष्यों में निहित है, क्योंकि हम यहां संयुक्त राष्ट्र में इस विचार में विश्वास करते हैं कि हमें किसी को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मूल रूप से सामाजिक न्याय, समावेश और समानता का सिद्धांत है। गफूर ने भारत, उसके नेतृत्व और प्रौद्योगिकी और एआई के क्षेत्र में उसकी उपलब्धियों की सराहना की।(भाषा)