इस कदम से महज 9 महीने पहले ट्रंप प्रशासन ने एक विशाल एशियाई देश की बाजार बिगाड़ने वाली नीतियों का खुलकर विरोध किया था, जो भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों की संप्रभुता के लिए खतरनाक है। भारत-प्रशांत क्षेत्र अब विकास के इंजन के रूप में उभरा है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने मंत्रिमंडल के शीर्ष सदस्यों- विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, वाणिज्य मंत्री विल्बुर रोज और ऊर्जा मंत्री रिक पेरी को अमेरिकी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के प्रयास से जोड़ दिया है, जो सोमवार को भारत-प्रशांत व्यापार मंच की पहली बैठक की मेजबानी करेगा।
मंच अमेरिका की संपूर्ण भारत-प्रशांत सरकारी रणनीति के आर्थिक एवं वाणिज्यिक तत्वों को सामने रखेगा और उस बैठक में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, निजी क्षेत्र तथा भारत प्रशांत देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारी हिस्सा लेंगे। संभावना है कि आगामी दशकों में वैश्विक जीडीपी का 50 फीसदी हिस्सा एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का होगा।
अमेरिका-भारत व्यापार परिषद की अध्यक्ष निशा देसाई बिस्वाल ने कहा कि इस संभावना को साकार करने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र अपनी ऊर्जा और बुनियादी ढांचा जरूरतों के वित्तपोषण के लिए सरकार से नहीं बल्कि निजी क्षेत्रों से 26,000 अरब डॉलर पूंजी आकर्षित करने की जरूरत होगी। अमेरिकी कंपनियां पूंजी निवेश करने और प्रौद्योगिकी एवं बुनियादी ढांचा का निर्माण करने में एक अहम भागीदार होंगी।
इस पहल में अहम भूमिका निभाने वालीं बिस्वाल ने कहा कि यह एक ऐसा कार्यक्रम है, जो व्यापार, निजी क्षेत्र और इस क्षेत्र के हमारे कई साझेदार को एक ऐसी प्रकार की चर्चा के लिए साथ लाएगा कि हम भारत-प्रशांत क्षेत्र में निवेश सहभागिता कैसे बढ़ाएं। पोम्पियो, रोज और पेरी के अलावा अन्य शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।