नहीं तो 100% टैरिफ लगाएंगे, डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी को GTRI ने बताया अवास्तविक

रविवार, 1 दिसंबर 2024 (18:56 IST)
Donald Trump warning to BRICS countries : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों को यह चेतावनी अवास्तविक है कि यदि ब्रिक्स समूह अमेरिकी डॉलर का स्थान लेगा तो वे 100 प्रतिशत सीमा शुल्क लगा देंगे। शोध संस्थान जीटीआरआई ने रविवार को यह विचार रखते हुए कहा कि भारत को एक व्यावहारिक स्थानीय मुद्रा व्यापार प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
 
साल 2009 में गठित ब्रिक्स एकमात्र ऐसा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका अमेरिका हिस्सा नहीं है। इसके अन्य सदस्य दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं।
 
पिछले कुछ वर्षों में इसके कुछ सदस्य देश, विशेष रूप से रूस और चीन, अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं या अपनी खुद की ब्रिक्स मुद्रा बना रहे हैं। भारत अभी तक इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है। शनिवार को ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी दी।
 
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि इस पैमाने पर शुल्क से केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं को ही नुकसान होगा क्योंकि इससे आयात की कीमतें बढ़ेंगी, वैश्विक व्यापार बाधित होगा और प्रमुख व्यापारिक साझेदारों से प्रतिशोध का जोखिम होगा।
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जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रिक्स मुद्रा अपनाने वाले देशों पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की ट्रंप की धमकी वास्तविक नहीं है और व्यावहारिक से ज़्यादा प्रतीकात्मक है। भारत के लिए, विवेकपूर्ण दृष्टिकोण एक पारदर्शी और खुले मुद्रा विनिमय की स्थापना करके स्थानीय मुद्रा व्यापार को व्यावहारिक बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है।”
 
उन्होंने कहा कि भारत का सर्वोत्तम हित न तो अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व में है और न ही इस समय ब्रिक्स मुद्रा को पूरी तरह अपनाने में है। उन्होंने कहा, “अपने स्वयं के वित्तीय बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर, भारत वैश्विक व्यापार की बदलती गतिशीलता को बेहतर ढंग से संचालित कर सकता है।”
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उन्होंने कहा कि संप्रभु राष्ट्रों को धमकाने से राजनयिक संबंध कमजोर होते हैं और आज की दुनिया की बहुध्रुवीय प्रकृति की अवहेलना होती है। श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका समेत कोई भी देश बिना किसी नतीजे का सामना किए वैश्विक आर्थिक नीतियों को एकतरफा तरीके से तय नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि देशों को अपने सर्वोत्तम हित में निर्णय लेने का अधिकार है, खासकर तब जब मौजूदा प्रणालियों का इस्तेमाल उनके खिलाफ किया गया हो।” इनपुट भाषा

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