भरोसा नहीं होता! जर्मनी में तेजी से बढ़ रही है घरेलू हिंसा

राम यादव
बुधवार, 26 जुलाई 2023 (19:30 IST)
Domestic violence in Germany: हम समझते हैं कि पश्चिमी जगत के उन्नत देशों में पढ़े-लिखे धनी-मानी लोगों की रोज़मर्रा ज़िंदगी में हिंसा की वे समस्याएं नहीं होती होंगी, जो भारत जैसे विकासशील देशों में आम बात हैं। किंतु ऐसा नहीं है। पश्चिमी समाजों में भी विवाहित दंपतियों और अविवाहित जोड़ों तथा घर के बच्चों और वयस्कों के बीच हिंसा की एक से एक न केवल भयावह घटनाएं होती हैं, ऐसी घटनाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है।
 
जर्मनी को ही लेलें। सवा 8 करोड़ की जनसंख्या वाला जर्मनी, जनसंख्या और आर्थिक शक्ति की दृष्टि से यूरोप महाद्वीप का नंबर एक देश है। उसकी मंहगी कारें सारी दुनिया में धड़ल्ले से बिकती हैं। उसके नागरिक देश-दुनिया में घूमने-फिरने पर जितना पैसा बहाते हैं, उतना किसी और देश के निवासी नहीं ख़र्च करते। तब भी, जर्मन घरों में इतनी चखचख और मार-पीट भी होती है कि विश्वास करना कठिन है।
 
घरेलू हिंसा के नवीनतम आंकड़े : जर्मनी के संघीय आपराधिक पुलिस कार्यालय BKA द्वारा प्रकाशित 2022 के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि जर्मनी के घरों में घरेलू हिंसा के ऐसे मामले 2021 की तुलना में 8.5 प्रतिशत बढ़ गए थे, जिनकी शिकायत पुलिस तक पहुंची थी। स्पष्ट है कि पति-पत्नियों और अविवाहित 'लिव-इन' जीवन साथियों के बीच होने वाले सभी लड़ाई-झगड़ों की कहानी पुलिस तक नहीं पहुंचती।
 
इन आंकड़ों के अनुसार जर्मनी की पुलिस ने 2022 में घरेलू हिंसा के कुल 2,40,547 मामले दर्ज किए। इसका अर्थ है कि 2022 में घरेलू हिंसा के हर दिन औसतन 432 और हर घंटे 18 मामले हो रहे थे। इस हिंसा का 70 प्रतिशत से अधिक शिकार महिलाओं को बनना पड़ा। 65.5 प्रतिशत मामलों में विवाहित या साथ रह रहे अविवाहित जोड़ों के बीच झगड़े ने हिंसा का रूप ले लिया। 
 
विवाहितों-अविवाहितों के अलग आंकड़े : जर्मनी के आपराधिक पुलिस कार्यालय BKA ने पाया कि 2021 की तुलना में 2022 में साथ रह रहे जोड़ों के बीच हिंसा की घटनाएं 9.4 प्रतिशत बढ़ गई थीं। 2021 में इस प्रकार की घटनाओं की कुल संख्या 1,57,550 थी। पुलिस ने पाया कि 2022 में हिंसा के जो मामले हुए थे, उनमें 39.5 प्रतिशत मामले ऐसे थे, जिनमें झगड़ा, पहले साथ रहे और अब अलग हो गए जोड़ों के बीच हुआ था। लेकिन, 31.1 मामलों ऐसे थे, जिन में विवाहित जोड़ों के बीच झगड़े ने हिंसा का रूप ले लिया। इसी प्रकार 29.1 प्रतिशत मामले ऐसे प्रेमी युगलों के थे, जो झगड़े के समय साथ-साथ रह रहे थे, पर विवाह नहीं किया था। 
 
कई बार बात झगड़े और मार-पीट तक ही नहीं रही। 2022 में ऐसे कई हिंसक विवादों का अंत 133 महिलाओं और 19 पुरुषों की मृत्यु के साथ हुआ। 1,35,502 पुरुष और महिलाएं घायल हुईं। 28,589 लोगों को गंभीर चोटें लगीं। 
 
पुरुषों पर संपर्क-प्रतिबंध का कानून : BKA का अपनी रिपोर्ट में कहना है कि पत्नी या प्रेमिका के साथ रहने के दौरान हिंसा पर उतारू हो जाने वाले पुरुषों का अनुपात पिछले 5 वर्षों में 11 प्रतिशत बढ़ गया है। इस कारण जिन महिलाओं को उनके हिंसक पुरुषों से बचाना ज़रूरी हो जाता है, उन पुरुषों को एक विशेष क़ानून के अधीन, कुछ समय के लिए अपनी पत्नी या सहचरी से मिलना प्रतिबंधित कर दिया जाता है। 2022 में ऐसे प्रतिबंध 4,194 जर्मनों और जर्मनी में रह रहे 2,393 विदेशियों पर लगाए गए।     
 
जर्मनी के आपराधिक पुलिस कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि ऐसे मामलों की संख्या भी सामाजिक कारणों से निश्चित रूप से बहुत अधिक हो सकती है, जिनकी खबर पुलिस तक कभी पहुंचती ही नहीं। इसलिए यह मानकर चलना चाहिए कि लड़कियां और महिलाएं, लड़कों और पुरुषों की अपेक्षा घरेलू हिंसा से कहीं अधिक पीड़ित होती हैं।
 
लड़कों-लड़कियों के साथ हिंसा के आंकड़े : अपवाद केवल यह दिखा कि 2022 में जर्मनी के 6 साल तक के लड़कों को, इस आयु तक की लड़कियों की अपेक्षा कुछ अधिक ही घरेलू हिंसा झेलनी पड़ी। ऐसे लड़कों की संख्या 3,192 और लड़कियों की 2,993 रही। लेकिन आयु बढ़ने के साथ हिंसा पीड़ित लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक होने लगती है। 2022 में 14 से 18 साल के बीच की 5,972 लड़कियों के और इसी आयुवर्ग के 4,087 हज़ार लड़कों के साथ घरेलू हिंसा के मामले पुलिस तक पहुंचे।
 
35.3 प्रतिशत मामलों में माता-पिता अपने बच्चों को मारते-पीटते पाए गए। 23 प्रतिशत ऐसे मामले भी मिले हैं, जिनमें किसी बच्चे ने माता-पिता पर हाथ उठाया। 18 प्रतिशत मामले ऐसे रहे हैं, जिनमें किसी दूसरे सगे-संबंधी का और 17 प्रतिशत मामलों में घर के ही भाई-बहनों का हाथ होने का संदेह है। अपने ही घर-परिवार में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामले भी एक ही साल में 20 प्रतिशत बढ़ गए थे।  
 
हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति : घेरेलू हिंसा की प्रवृत्ति जर्मनी में लगातार बढ़ती ही गई है। पिछले 5 वर्षों के आंकड़े दिखाते हैं कि यह हिंसा एक सामाजिक बीमारी बनती जा रही है। पुलिस ने 2017 में इस तरह के 1,38,893 मामले, 2018 में 1,40,755 मामले, 2019 में 1,41,792 मामले, 2020 में 1,48,031 मामले, 2021 में (कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते कम हुए) 1,44,044 मामले और 2022 में 157,550 मामले दर्ज किए। इसे कोई नहीं जानता कि कितने मामले पुलिस तक पहुंचे ही नहीं, आंधकार में रहे।
 
घेरेलू हिंसा रोज़मर्रा का हिस्सा : जर्मनी की गृहमंत्री नैन्सी फ़ेज़र बेलागलपेट स्वीकार करती हैं कि 'घरेलू हिंसा जर्मनी की रोज़मर्रा ज़िंदगी का हिस्सा बन गई है।' वे मानती हैं कि महिलाएं और बच्चे ही नहीं, ऐसे लोगों को भी इस हिंसा का शिकार बनाया जाता है, जो बीमार या वयोवृद्ध हैं और जिन्हें सेवा-सुश्रुसा मिलनी चाहिए। मार-पीट और दुर्व्यवहार ही हिंसा नहीं है, मानसिक आतंक और किसी का पीछा करना भी, श्रीमती फ़ेज़र की दृष्टि में हिंसा का ही एक रूप है। 
 
जर्मनी की परिवार कल्याण मंत्री लीज़ा पाउस इसे 'पूरे समाज की रोज़मर्रा समस्या' बताते हुए कहती हैं कि पुरुष अपने शक्ति-प्रदर्शन द्वारा 'महिलाओं पर अपनी धाक बनाए रखना' चाहते हैं। इसलिए उनका (श्रीमती पाउस का) प्रयास यही होगा कि हिंसा पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्हें शरण देने वाले नारी-निकेतनों और परामर्श सुविधाओं में जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर किया जाए। वे चाहती हैं कि जर्मनी में 'पीड़ित महिलाओं को हर जगह सुरक्षित शरण, अच्छा परामर्श और उचित सहायता मिले।'
 
ऐसा नहीं है कि घेरेलू हिंसा का यह हाल केवल जर्मनी में ही है। यूरोप के और वास्तव में पश्चिमी जगत के उन लगभग सभी देशों का यही हाल है, जो बाहर से देखने पर बहुत सुसंपन्न, सुशिक्षित और सुसंस्कृत प्रतीत होते हैं, पर भीतर से उतने ही टूटे-फूटे और खोखले मिलते हैं। हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और!
 

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