लंदन। जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिकूल मौसम से यूरोप में इस सदी के अंत तक लोगों की मौतों का आंकड़ा बढ़ कर 50 गुना ज्यादा हो जाएगा और यह संख्या 150,000 से अधिक होगी। वैज्ञानिकों ने शोधों के निष्कर्ष के आधार पर यह अनुमान व्यक्त किया है।
लैंसेंट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में वैज्ञानिकों ने अपने शोधों के आधार पर कहा है कि अगर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए गंभीर उपाय नहीं किए गए तो प्रतिकूल मौसम से होने वाली मौतों से समाज पर अधिक बोझ बढेगा और इससे यूरोप के हर दो लोग प्रभावित होंगें। सबसे ज्यादा खतरा ग्रीन हाऊस गैसों और अन्य मौसमी बीमारियों से होगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस समय जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय नहीं किए गए तो बेहद गर्म और ठंडे मौसम, आग लगने की घटनाओं, सूखा और अकाल, तटीय क्षेत्रों में पानी का जल स्तर बढ़ने के कारण लोगों की मौतों का आंकड़ा बढेगा।
इस शोध की अगुवाई करने वाले वैज्ञानिक गियोवान्नी फोरजिएरी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन 21वीं सदी में मानव सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरेगा और यहीं लोगों की मौतों का कारण भी बनेगा। यदि इससे निपटनें के लिए अभी गंभीर उपाय नहीं किए गए तो इस सदी के अंत तक यूरोप में प्रतिवर्ष साढे तीन करोड़ लोग मौसमी दशाओं के खतरनाक प्रभावों से पीड़ित होंगे।