साइबर हमले: हाइब्रिड युद्ध क्या है और यह इतना बड़ा खतरा क्यों है?

Webdunia
गुरुवार, 22 जुलाई 2021 (12:26 IST)
मुख्य बिंदु
लंदन। अमेरिका और अन्य देशों में संगठनों और व्यवसायों के खिलाफ रैंसमवेयर हमलों को लेकर वॉशिंगटन और मॉस्को के बीच वाकयुद्ध चल रहा है। ये तेजी से परिष्कृत साइबर हमले एक नए प्रकार के युद्ध का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसका उद्देश्य एक देश की अर्थव्यवस्था को अव्यवस्थित और यहां तक ​​कि नष्ट करना है। इसे 'हाइब्रिड वारफेयर' कहा गया है। यह पारंपरिक और अपरंपरागत तरीकों का मिश्रण है, जो एक बहुत मजबूत विरोधी के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इसका उद्देश्य राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करना है, जो पारंपरिक युद्ध के साथ संभव नहीं होगा।

ALSO READ: पेगासस जासूसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, कांग्रेस ने की जेपीसी से जांच की मांग
समस्या अक्सर अपराधियों की पहचान करने की होती है। हाइब्रिड युद्ध में कार्रवाई के लिए जिम्मेदार राज्य अक्सर नॉन स्टेट एक्टर्स का उपयोग करेगा जिससे इसे जिम्मेदारी से इंकार करने में मदद मिलती है। लेकिन पिछले 2 दशकों में पश्चिमी राज्य संस्थानों और व्यवसायों को लक्षित कई साइबर हमले 'लोन वुल्फ्स' के रूप में काम करने वाले कुछ तकनीक-प्रेमी लोगों की तुलना में कहीं अधिक परिष्कृत हैं और इनकी कार्रवाई में ऐसे निशान हैं कि इन्हें किसी शत्रु राष्ट्र के समर्थन अथवा अनुमोदन से अंजाम दिया गया है।

ALSO READ: आगरा में हुआ जघन्य हत्याकांड, मां व 3 बच्‍चों की गला रेतकर हत्या
 
सैन्य स्तर पर किए गए साइबर हमलों का पैमाना इन हमलों को व्यवस्थित करने या प्रोत्साहित करने के लिए पर्दे के पीछे स्टेट एक्टर्स की भागीदारी का संकेत देता है। रूस उन अंतरराष्ट्रीय एक्टर्स में से एक के रूप में उभरा है जिसने एक परिष्कृत साइबर युद्ध रणनीति विकसित की है।
 
तो जिस तरह से रूस साइबर हमलों के माध्यम से हाइब्रिड युद्ध को अंजाम दे रहा है, उसके बारे में हम क्या जानते हैं? रूस का साइबर युद्ध सिद्धांत या हाइब्रिड युद्ध, को ऐसे राजनीतिक वैज्ञानिकों द्वारा आकार दिया गया था जैसे कि एलेक्जेंडर डुगिन - एक रूसी दार्शनिक जिन्हें 'पुतिन का मस्तिष्क' कहा जाता है। वह मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर हैं और 2014 में जब रूस ने क्रीमिया का अधिग्रहण किया था तो वह अमेरिकी प्रतिबंधों का निशाना बने थे।
 
इस क्षेत्र में एक अन्य प्रमुख विचारक इगोर पानारिन हैं, जो मनोविज्ञान में पीएचडी के साथ पुतिन के वरिष्ठ सलाहकार हैं। वरिष्ठ सैन्य दिग्ग्जों में रूस के जनरल स्टाफ के प्रमुख और 'गेरासिमोव सिद्धांत' के लेखक वालेरी गेरासिमोव शामिल हैं, जो कार्नेगी फाउंडेशन के अनुसार, शांति और युद्धकाल में विभिन्न क्षेत्रों में कठोर और नरम ताकत का इस्तेमाल करते हुए सीमाएं पार करके एक संपूर्ण सरकारी अवधारणा को अंजाम देते हैं। इस तरह के विचारक लंबे समय से इस बात की वकालत करते रहे हैं कि रूस को सैन्य बल के बजाय सूचना युद्ध के माध्यम से अपने राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करना चाहिए।

ALSO READ: ठाणे और पालघर में भारी बारिश, बाढ़ में डूबे कई गांव, NDRF तैनात
 
सुरक्षा के लिए साझा करना : साइबरस्पेस को अक्सर एक भौतिक परत (हार्डवेयर), एक तार्किक परत (कैसे और कहाँ डेटा वितरित और संसाधित किया जाता है) और एक मानव परत (उपयोगकर्ता) के रूप में दिखाया जाता है। अधिकतर इसका प्रबंधन स्टेट एक्टर्स के बजाय निजी संगठनों द्वारा किया जाता है। और जब इसके रोकथाम की जिम्मेदारी तय करने की बात आती है तो साइबर हमले एक ग्रे क्षेत्र में होते हैं। यह भी सवाल है कि हमलों को कौन बढ़ा रहा है और क्या वे आपराधिक उद्यम हैं या किसी राज्य एजेंसी द्वारा समर्थित हैं।
 
हिफाजत की जिम्मेदारी को लेकर बना भ्रम रूसी सरकार के हाथों में खेलता है। वह सैन्य अभियान छेड़े बिना,अपने विरोधियों को चोट पहुँचा सकता है, चाहे वह कितना भी बड़ा या मजबूत क्यों न हो। हाल के वर्षों में रूसी अपराध समूहों द्वारा किए गए साइबर हमलों ने अस्पतालों, ऊर्जा ग्रिड और औद्योगिक सुविधाओं को लक्षित किया है। क्रेमलिन ने अपनी संलिप्तता के आरोपों को 'निराधार' बताया है। लेकिन सरकार और हमले करने वालों के बीच भले ही कोई सीधा संबंध न हो, रूस जानबूझकर इन समूहों को अपने क्षेत्र से संचालित करने की अनुमति देता है।
 
रूस की राज्य एजेंसियों ने इन आपराधिक समूहों को ट्रैक करने के लिए अपनी सेवाएं देने की पेशकश की है। लेकिन वर्षों से ऐसा होता रहा है और इससे कुछ भी नहीं निकला है। कई देशों ने साइबर अपराध का मुकाबला करने के लिए रणनीति विकसित करने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। इन पहलों में 24 यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में हाइब्रिड युद्ध रक्षा अभ्यास शामिल हैं।
 
यूरोपीय संघ ने साइबर हमलों को रोकने और इनका जवाब देने के लिए यूरोपीय संघ के निर्णय निर्माताओं को रणनीतिक विश्लेषण प्रदान करने के लिए एक संगठन की स्थापना की है जिसे 'हाइब्रिड फ्यूजन सेल' का नाम दिया गया है। यूरोपीय संघ के इंटेलिजेंस एंड सिचुएशन सेंटर में मौजूद विश्लेषकों का समूह यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में जीसीएचक्यू, एमआई5 और पुलिस खुफिया एजेंसियों जैसे विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों से आने वाली खुफिया जानकारी का विश्लेषण कर रहा है और नीति निर्माताओं को जोखिम आकलन प्रदान कर रहा है ताकि वह अपनी घरेलू नीति तैयार करते समय उसका इस्तेमाल कर सकें।
 
यूरोपीय संघ और अमेरिका दोनों ने रूसी व्यक्तियों और संस्थाओं पर साइबर अवसंरचना को लक्षित करने वाली उनकी हानिकारक गतिविधियों के लिए प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन कड़े अनुशासित और कठोर पदानुक्रमित राज्य-प्रायोजित समूहों से इस तरह के खतरे से निपटना आसान नहीं है।
 
जितनी तेजी से पश्चिमी खुफिया हाइब्रिड रणनीति से निपटने के लिए नई पहल कर सकते हैं, साइबर अपराधी उतनी ही तेजी से हमले के नए साधन विकसित करने में सक्षम हैं। इसलिए हाइब्रिड युद्ध के खतरे से निपटने के लिए सार्वजनिक और निजी संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए एक चुस्त शासन मॉडल की आवश्यकता है। यूरोप और इसराइल में 13 भागीदारों के साथ साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल सेंटर फॉर पुलिसिंग एंड सिक्योरिटी के नेतृत्व में ईयूसीटीईआर नेटवर्क कई नए मॉडल विकसित कर रहा है जिनके बारे में आप हमारी वेबसाइट पर विस्तार से पढ़ सकते हैं। हाइब्रिड युद्ध एक विशाल, जटिल और तेजी से बढ़ने वाला खतरा है जिसके खिलाफ राष्ट्रों को अपना बचाव करने के लिए समानुपातिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता होगी।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख