आईएफएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के उपनिदेशक पाओलो मौरो ने बुधवार को यहां कहा कि भारत के मामले में महामारी से पहले 2019 के अंत में ऋण अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 74 प्रतिशत था और 2020 के अंत में ये बढ़कर जीडीपी का लगभग 90 प्रतिशत हो गया है। यह बहुत बड़ी वृद्धि है, लेकिन दूसरे उभरते बाजारों और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने भी ऐसा ही अनुभव किया है।
मौरो ने उम्मीद जताई कि अगले साल भारत के आम बजट में घाटे को कम करने की कोशिश देखने को मिल सकती है। इस बीच आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि दुनिया दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ी वैश्विक मंदी से जूझ रही है। उन्होंने बुधवार को आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक की शुरुआत में कहा कि आगे हालात बेहतर होने की उम्मीद है, क्योंकि लाखों लोगों को टीकाकरण और नीतिगत समर्थन से फायदा मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले 1 साल में कई असाधारण और मिले-जुले कदम उठाए गए। जार्जिवा ने कहा कि इन राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के बिना पिछले साल की वैश्विक मंदी 3 गुना बदतर हो सकती थी। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक अच्छी खबर है कि सुरंग के अंत में रोशनी दिख रही है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ी वैश्विक मंदी की भरपाई हो रही है। जैसा कि आप जानते हैं, कल हमने अपने वैश्विक वृद्धि पूर्वानुमान को 6 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था। (भाषा)