शैफर ने कहा कि यह पूरी मानवता के लिए बुरी खबर है कि बड़े पैमाने पर जलवायु संवेदनशीलता होने से तापमान में बढ़ोतरी तेज होगी। यह अध्ययन 5.6 करोड़ साल पहले हुए वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी के दौरान की स्थिति के आधार पर किया गया है। उस समय को पालाएओसीन-एओसीन थर्मल मैक्सिमम (पीईटीएम) के नाम से जाना जाता है।