क्या केवल वजन से किया जा सकता अच्छे स्वास्थ्य का आकलन, जानिए रिसर्च में क्या आया सामने

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रविवार, 27 जुलाई 2025 (18:15 IST)
आपका वजन असल में आपके स्वास्थ्य के बारे में कितना बताता है? शायद आपके विचार से भी कम। हो सकता है कि आप रोजाना फल-सब्जियों की पर्याप्त खुराक लेते हों, नियमित रूप से जिम जाते हों, आपके रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य हो-लेकिन आपके वजन के आधार पर आपको ‘अस्वस्थ’ करार दिया जाए। वहीं, तथाकथित ‘स्वस्थ’ वजन वाला व्यक्ति शायद समय पर खाना न खाता हो, तनावग्रस्त हो, कैफीन की लत का शिकार हो और शायद ही कभी कसरत करता हो।
 
हमें पढ़ाया गया है कि दुबलेपन का सेहत से और अधिक वजन का बीमारी से संबंध होता है। लेकिन विज्ञान एक ज़्यादा बारीक कहानी कहता है–जहां वजन एक कहीं ज़्यादा जटिल तस्वीर में सिर्फ एक आंकड़ा भर है। तो अगर अकेले वजन ही यह नहीं दर्शाता कि हम कितने स्वस्थ हैं, तो और क्या दर्शाता है?
 
शरीर का वजन स्वास्थ्य के सबसे ज्यादा मापे जाने वाले पैमानों में से एक है। समाज इस पर बहुत जोर देता है और किसी व्यक्ति के वजन की आलोचना को अक्सर स्वास्थ्य संबंधी चिंता के रूप में देखा जाता है। तो वजन असल में कितनी सार्थक स्वास्थ्य जानकारी प्रदान करता है?
 
सीधे शब्दों में कहें तो, व्यक्ति का वजन शरीर द्वारा ग्रहण की जा रही कैलोरी पर निर्भर करता है। समय के साथ वजन में बदलाव कैलोरी की खपत की ओर इशारा कर सकता है। अगर उनका वजन बढ़ रहा है, तो इसका मतलब यह है कि वे जितनी कैलोरी जला रहे हैं, उससे ज़्यादा सेवन कर रहे हैं। वहीं, अगर उनका वजन घट रहा है, तो इसका मतलब यह है कि वे जितनी कैलोरी ले रहे हैं, उससे ज़्यादा जला रहे हैं।
 
शायद यह समझना ज़्यादा उपयोगी होगा कि वजन हमें स्वास्थ्य संबंधी कौन-सी जानकारी नहीं देता। कोलेस्ट्रॉल, रक्त शर्करा, रक्तचाप और हृदय गति जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकेतक अक्सर नहीं मापे जाते हैं।
 
न ही वजन किसी के आहार की गुणवत्ता को दर्शाता है। हो सकता है कि कोई व्यक्ति भरपूर मात्रा में फल, सब्ज़ियां और साबुत अनाज खा रहा हो, जिससे उसे अच्छी ऊर्जा, हड्डियों की मज़बूती और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए ज़रूरी विटामिन और खनिज मिल रहे हों।
 
हो सकता है कि वे ज़्यादातर स्वस्थ वसा का सेवन करते हों, जिनमें जैतून का तेल, मेवे और मछली शामिल हैं, जिन्हें दिल की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। या हो सकता है कि उन्हें प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से वसा मिलता हो, जिनमें संतृप्त और ट्रांस वसा की मात्रा ज़्यादा होती है तथा उनसे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
 
हो सकता है कि उन्हें पाचन में, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में और स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल का स्तर बनाए रखने में सहायक ‘फाइबर (रेशेदार आहार)’ भरपूर मात्रा में मिल रहा हो, या हो सकता है कि उन्हें बहुत कम ‘फाइबर’ मिल रहा हो। सिर्फ वजन से इन महत्वपूर्ण आहार संबंधी विवरणों का पता नहीं चलता।
 
वजन यह भी सटीक रूप से नहीं दर्शाता कि किसी व्यक्ति के शरीर में वसा का स्तर कितना है या उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह कि वह वसा कहां स्थित है। आंतरिक अंगों के आसपास जमा वसा हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर के उच्च जोखिम से जुड़ा होता है, जबकि त्वचा के ठीक नीचे पाया जाने वाला उपचर्म वसा, स्वास्थ्य के लिए कम जोखिम पैदा करता है।
 
वज़न इस बात का विवरण नहीं देता कि कोई व्यक्ति कितना व्यायाम करता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है, भले ही इससे वजन कम न हो। न ही वजन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अन्य प्रमुख प्रभावों, जैसे नींद की गुणवत्ता या तनाव, को दर्शाता है।
 
इन सभी कारकों को मापना शरीर के वजन से ज़्यादा मुश्किल है और पहली नजर में ये बहुत कम दिखाई देते हैं, लेकिन ये किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की ज़्यादा सार्थक तस्वीर पेश करते हैं।
 
इसका मतलब यह नहीं है कि वजन और इन कारकों के बीच कोई संबंध नहीं है, लेकिन यह संबंध स्पष्ट नहीं है। किसी व्यक्ति के आहार की गुणवत्ता या उसकी गतिविधियों के पैटर्न जैसी जानकारी सिर्फ़ उसके वजन को देखकर नहीं मिल सकती।
 
जनसंख्या के स्तर पर, शरीर के ज्यादा वजन और बीमारियों के बढ़ते जोखिम के बीच एक स्पष्ट संबंध है। उदाहरण के लिए, विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि अधिक ‘बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई)’ वाले लोगों में हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। बीएमआई लंबाई के सापेक्ष वजन का माप है।
 
कुछ लोग जिन्हें अधिक वजन या मोटापे की श्रेणी में रखा जाता है, उनके रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा का स्तर सामान्य रहता है। इसे अक्सर ‘‘चयापचय की दृष्टि से स्वस्थ मोटापा’’ कहा जाता है।
 
दूसरी ओर, ‘स्वस्थ’ वजन वाले व्यक्ति में आंतरिक वसा की मात्रा अधिक हो सकती है, उनके आहार की गुणवत्ता खराब हो सकती है या उनकी जीवनशैली खराब हो सकती है-जिससे पतले दिखने के बावजूद उनमें स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए ‘टोफी (बाहर से पतला, अंदर से मोटा)’ या ‘स्किनी-फैट’ जैसे शब्द प्रचलित हैं।
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ये उदाहरण इस बात पर जोर देते हैं कि सिर्फ वजन से स्वास्थ्य का सही आकलन नहीं किया जा सकता। कोई व्यक्ति जो रेशेदार आहार, फल-सब्जियों, साबुत अनाज और स्वास्थ्यवर्धक वसा से भरपूर भोजन लेता है, वह फिर भी ‘अधिक वजन’ की श्रेणी में आ सकता है। उसे सिर्फ़ इसलिए अस्वस्थ माना जा सकता है, क्योंकि वह जितनी कैलोरी जलाता है, उससे ज़्यादा कैलोरी का सेवन करता है।
 
इसके विपरीत, जो व्यक्ति पोषक तत्वों से भरपूर आहार नहीं लेता, लेकिन अपनी कैलोरी आवश्यकता से अधिक खुराक नहीं ग्रहण करता, उसे ‘स्वस्थ’ वजन वाला माना जा सकता है।   (द कन्वरसेशन)  Edited by : Sudhir Sharma

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