राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ 122 सांसदों द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया गया। श्रीलंका में 26 अक्टूबर से राजनीतिक संकट चल रहा है, जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह राजपक्षे को नियुक्त कर दिया था।
सिरिसेना ने बाद में संसद का कार्यकाल खत्म होने से करीब 20 महीने पहले ही उसे भंग कर दिया और चुनाव कराने के आदेश दिए। उच्चतम न्यायालय ने संसद भंग करने के सिरिसेना के निर्णय को पलट दिया और मध्यावधि चुनावों की तैयारियों पर रोक लगा दी थी। विक्रमसिंघे और राजपक्षे दोनों प्रधानमंत्री होने का दावा करते हैं। विक्रमसिंघे का कहना है कि उनकी बर्खास्तगी अवैध है, क्योंकि 225 सदस्यीय संसद में उनके पास बहुमत है। (भाषा)