जवाबदेही अदालत ने भ्रष्टाचार से संबंधित इस मामले में शरीफ को 10 साल और मरियम को 7 साल कैद की सजा सुनाई थी। लाहौर हवाई अड्डे पर हिरासत में लिए जाने के बाद पिता-पुत्री दोनों को एक विशेष विमान से इस्लामाबाद ले जाया गया था। वहां से उन्हें सशस्त्रकर्मियों के पहरे में अलग-अलग वाहनों से अदियाला जेल ले जाया गया था।
संपन्न परिवार से संबंधित होने के कारण मरियम जेल में 'बी-श्रेणी' की सुविधाएं पाने की हकदार हैं जिनमें गद्दा, कुर्सी-मेज, पंखा, 21 इंच का टेलीविजन और एक अखबार जैसी चीजें खुद के खर्चे पर मिलती हैं।
हालांकि मरियम ने सुविधाएं लेने से इंकार कर दिया और इस संबंध में उनके हस्ताक्षर वाला पत्र मीडिया में व्यापक रूप से छाया हुआ है। पत्र में लिखा है कि जेल अधीक्षक ने नियमों के अनुरूप मुझे बेहतर सुविधाओं की पेशकश की, लेकिन मैंने खुद की इच्छा से सुविधाएं लेने से मना कर दिया। यह किसी के दबाव के बिना विशुद्ध रूप से मेरा फैसला है, हालांकि उनके पिता शरीफ तथा पति मोहम्मद सफदर ने आवेदन किया और 'बी-श्रेणी' की सुविधाएं हासिल कीं। पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते शरीफ 'बी-श्रेणी' की सुविधाएं पाने के हकदार हैं। सफदर पूर्व सैन्य अधिकारी और सांसद होने के नाते 'बी-श्रेणी' की सुविधाएं पाने के हकदार हैं।
इस बीच शरीफ ने बीती रात अपने परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। उनसे मिलने वालों में उनकी बूढ़ी मां शमीम अख्तर, उनके भाई शाहबाज, मरियम की बेटी मेहरुन्निसा और शाहबाज के बेटे हमजा शाहबाज शामिल थे। यह मुलाकात जेल अधीक्षक के कमरे में कराई गई और लगभग 2 घंटे से अधिक समय तक चली।