जुकरबर्ग ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि आप जैसे कई लोगों की तरह मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप के उन शासकीय आदेशों के प्रभावों को लेकर चिंतित हूं जिन पर उन्होंने हाल ही में हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने लिखा कि हमें इस देश को सुरक्षित रखने की जरूरत है, लेकिन हमें ऐसा उन लोगों पर ध्यान देकर करना चाहिए जिनसे वाकई में खतरा है। हमें अपने दरवाजे शरणार्थियों के लिए और ऐसे लोगों के लिए जिन्हें हमारी जरूरत है, खुले रखने चाहिए। यही हमारी पहचान है।
जुकरबर्ग ने लिखा है कि मेरे परिवार से इतर भी ये मुद्दे व्यक्तिगत हैं। कुछ वर्ष पहले मैं एक स्थानीय मिडिल स्कूल में पढ़ाता था, जहां मेरे सबसे अच्छे विद्यार्थियों में से कुछ के पास दस्तावेज नहीं थे। वे भी हमारा भविष्य हैं।
उन्होंने लिखा कि हम आव्रजकों से निर्मित राष्ट्र हैं और यदि दुनियाभर से आए सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभावान लोग यहां आकर रहते हैं, काम करते हैं और अपना योगदान देते हैं तो उससे हम सभी को लाभ होता है। मैं आशा करता हूं कि हमें लोगों को करीब लाने और दुनियाभर के लोगों के लिए बेहतर जगह बनाने का साहस मिले।
ट्रंप ने शुक्रवार को एक सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया जिसके बाद कुछ विशेष मुस्लिम देशों से आने वाले शरणार्थियों के संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगा दी गई। आव्रजन के पक्षधर जुकरबर्ग की पिछली पीढ़ियां जर्मनी, ऑस्ट्रिया और पोलैंड से आई थीं। (भाषा)