…तो क्‍या अब हमेशा के लिए चांद पर बहस खत्‍म हो जाएगी?

चांद मेहबूबा का अक्‍स है। इस पर कई शायरी बनी है तो कई लोग इस पर ल‍िखकर शायर बने हैं। शायर गुलजार का चांद सबसे पसंदीदा ब‍िंब है। जब इश्‍क की बात हो तो चांद का ज‍िक्र होता ही है। ठीक इसी तरह ईद के मौके पर भी चांद सुर्खि‍यों में रहता है। फि‍र चाहे उस पर बहस ही क्‍यों न हो।

पाक‍िस्‍तान में हर साल यही होता है। चांद के दीदार को लेकर बहस। यह बहस व‍िवाद तक पहुंचती है। इस बार भी यही सब हुआ। चांद के दीदार को लेकर। चांद न‍िकला या नहीं। नजर आया या नहीं। कहीं नजर आया तो कहीं नजर नहीं आया। यह सब कन्‍फ्यूजन बना रहता है।

लेक‍िन शायद अगले साल तक यह समस्‍या दूर हो जाए। पाक‍िस्‍तान ने तो कुछ ऐसा ही दावा कि‍या है।

पाक‍िस्‍तान के साइंस एंड टेक्नॉलजी म‍िन‍िस्‍टर फवाद चौधरी ने इसका स्थायी समाधान निकालने की बात कही है। चौधरी ने कहा है क‍ि अगले साल तक चांद के दीदार को लेकर बहस और व‍िवाद खत्‍म हो जाएगा। उन्‍होंने कहा है क‍ि दो मून ऑब्जर्वेटरी तैयार की जाएंगी। इससे चांद को देखे जाने को लेकर फिर कोई कन्फ्यजून नहीं रहेगा। इसके साथ ही ईद की सही तारीख को लेकर भी कोई बहस नहीं होगी और न कोई कन्‍फ्यूजन होगा।

चौधरी ने कहा है कि एक ऑब्जर्वेटरी इस्लामाबाद में और एक ग्वदर में सेटअप की जाएंगी। यहां कोई भी खुद जाकर चांद का दीदार कर सकेगा। उन्होंने कहा, 'इस साल चांद को देखे जाने को लेकर हुए विवाद को देखते हुए हमने प्लान बनाया है कि अगले साल तक एक ऑब्जर्वेटरी इस्लामाबाद में और एक ग्वदर में तैयार की जाएंगी। इससे हमेशा के लिए इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा और कोई भी आम इंसान खुद जाकर चांद को देख सकेगा।'

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