इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने पनामागेट मामले में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद के अयोग्य ठहरा दिया तथा उनके मामले को सुनवाई के लिए भ्रष्टाचार रोधी अदालत के पास भेज दिया।अदालत के इस फैसले के बाद नवाज शरीफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति के अपने फैसले में आदेश दिया कि शरीफ के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए तथा यह भी कहा कि शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ मामले को जवाबदेही अदालत के पास भेजा जाए। शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो छह महीने के भीतर मामले का निपटारा करेगा।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने शरीफ को पद के अयोग्य ठहरा दिया। न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री ससंद एवं अदालतों के प्रति ईमानदार नहीं रहे और उनको पद के लिए उपयुक्त नहीं समझा जा सकता। यह फैसला उसी पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया जिसने इस साल जनवरी से मामले की सुनवाई की थी।
पीठ में न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा, न्यायमूर्ति एजाज अफजल खान, न्यायमूर्ति गुलजार अहमद और न्यायमूर्ति शेख अजमत सईद और न्यायमूर्ति एजाजुल अहसन हैं। न्यायमूर्ति खान ने सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट नंबर-एक में फैसला पढ़कर सुनाया।
यह मामला 1990 के दशक में उस वक्त धनशोधन के जरिए लंदन में सपंत्तियां खरीदने से जुड़ा है जब शरीफ दो बार प्रधानमंत्री बने थे।
शरीफ के परिवार की लंदन में इन संपत्तियों का खुलासा पिछले साल पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ। इन संपत्तियों के पीछे विदेश में बनाई गई कंपनियों का धन लगा हुआ है और इन कंपनियों का स्वामित्व शरीफ की संतानों के पास है। इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं। वह पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पूरी उत्सुकता के साथ इंतजार किया जा रहा था क्योंकि शरीफ के पिछले दो कार्यकाल तीसरे साल में खत्म हो गए थे।
इस्पात कारोबारी-सह-राजनीतिज्ञ शरीफ पहली बार 1990 से 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे। उनका दूसरा कार्यकाल 1997 में शुरू हुआ जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद खत्म हो गया।
सर्वोच्च न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए इसी साल मई में संयुक्त जांच दल का गठन किया था। जेआईटी ने गत 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी।
जेआईटी ने कहा कि शरीफ और उनकी संतानों की जीवनशैली उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज्यादा विस्तृत है और उसने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी।
शरीफ ने जेआईटी की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ‘बेबुनियाद आरोपों का पुलिंदा’ करार दिया था और पद छोड़ने से इनकार किया था। गत 21 जुलाई को शीर्ष अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फैसले के मद्देनजर इस्लामाबाद पुलिस ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए और राजधानी के मध्य ‘रेड जोन’ इलाके को आम लोगों के लिए बंद कर दिया। इस इलाके में सर्वोच्च न्यायालय सहित कई महत्वूर्ण इमारतें हैं। (भाषा)