नेपाल के नए मानचित्र में भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया गया था। इस मानचित्र को नेपाल की संसद द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकृति दिए जाने के बाद भारत ने इसे सीमाओं का कृत्रिम विस्तारीकरण कहा था।
शिक्षा मंत्रालय के अधीन पाठ्यक्रम विकास केंद्र ने हाल ही में संशोधित मानचित्र वाली पुस्तकें प्रकाशित की हैं।केंद्र में सूचना अधिकारी गणेश भट्टराई ने यह जानकारी दी। नेपाल के क्षेत्र और सीमाओं के मुद्दों पर पठन सामग्री शीर्षक वाली नई पुस्तकें नौवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए लिखी गई हैं और इनकी प्रस्तावना शिक्षामंत्री गिरिराज मणि पोखरेल ने लिखी है।
नेपाल सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा नए मानचित्र को स्वीकृति मिलने के बाद सरकार के तत्कालीन प्रवक्ता और वित्तमंत्री युवराज खातिवाड़ा ने मीडिया से कहा था कि सरकार ने संविधान की अनुसूची को अद्यतन करने और संशोधित मानचित्र को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने पहले ही इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, सीमा विस्तार के कृत्रिम दावे ऐतिहासिक तथ्य या साक्ष्य पर आधारित नहीं हैं और तर्कसंगत नहीं हैं। सीमा के मुद्दों पर बातचीत की हमारे बीच जो समझ विकसित हुई है यह उसका भी उल्लंघन है।