अखबार के मुताबिक, जब-जब भारत और पाकिस्तान ने अपने मुख्य मुद्दे यानी कश्मीर के भविष्य पर समझौता करने से इंकार किया है, तब-तब उन्हें अप्रत्याशित तथा संभवत: भयानक परिणामों का सामना करना पड़ा है। समाचार पत्र का कहना है कि अगली बार इस तरह की तनातनी को शांतिपूर्ण तरीके से नहीं सुलझाया जा सकेगा।
समाचार पत्र ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने वाले आतंकवादी समूहों पर कभी गंभीरता से कार्रवाई नहीं की और पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई समेत विभिन्न सशस्त्र समूहों के 121 सदस्यों को हिरासत में लिया है और संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में शामिल आतंकवादियों की संपत्ति जब्त करने की योजना बनाई है, लेकिन पाकिस्तान ने ऐसे वादों पर शायद ही कभी अमल किया हो।
लेख के मुताबिक बिना अंतराष्ट्रीय दबाव के दीर्घकालिक समाधान की संभावना नहीं है और परमाणु हथियारों का खतरा बना हुआ है। अखबार का कहना है कि चीन, पाकिस्तान का प्रमुख सहयोगी है और उसे कर्ज देता है। अगर चीन मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में शामिल करने से सुरक्षा परिषद को नहीं रोकता है तो इससे पाकिस्तान को यह संदेश मिलेगा कि उसे अपने आतंकवादी समूहों को नियंत्रित करना ही होगा। (भाषा)