रिपोर्टों के अनुसार माता-पिता तीन, पांच, सात और 11 साल के बच्चों में अवसाद के लक्षण देखने पर मनोचिकित्सकों से संपर्क करते हैं लेकिन 14 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बच्चे स्वयं ही अवसाद के बारे में सवाल करते हैं।
अवसाद के शिकार लड़कों का व्यवहार पांच साल की उम्र तक उग्र, जिद्दी और लड़ाकू नहीं होता है लेकिन 14 साल की उम्र में वे उग्र और लड़ाकू प्रवृति के हो जाते हैं। अवसाद की स्थिति में लड़कियां लड़कों के मुकाबले कम अधिक उग्र होती हैं। वर्तमान पीढ़ी के किशोरों में पिछली पीढ़ी के मुकाबले अवसाद की समस्या तेजी से बढ़ रही है। (वार्ता)