उनके अनुयायी बनने लगे और बाद में वह पुणे चले गये। जब शहर में उनके आश्रम का कड़ा विरोध और धमकियां मिलने लगीं तो उन्होंने अमेरिका में एक आश्रम खोलने पर विचर किया। इस संप्रदाय को अमेरिका से भी खदेड़ दिया गया। करीब 64,000 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किये गये इस आश्रम ने स्थानीय लोगों को उकसाया। उसके अनुयायियों पर आव्रजन धोखाधड़ी, टैपिंग, स्थानीय चुनाव में गड़बड़ी और जैव आतंकवाद जैसे आरोप लगे। चैपमैन ने कहा, ‘रजनीशपुरम की कहानी अमेरिका में पूरी तरह भुला दी गयी।
दुनियाभर में लोगों को यह तो मालूम है कि ओशो कौन थे लेकिन उसे अमेरिका में उनकी गतिविधियों के बारे में पता नहीं है।’ मैकेन ने कहा, ‘भगवान शायद पहले गुरु थे जिन्होंने रहस्यवाद का पश्चिमी पूंजीवाद से सम्मिलन कराया और ढेरों लोगों को यह आकर्षक संदेश दिया। यह स्वप्रेम, स्वजागरुकता और मानवता के बारे में था। उसने वाकई पूरब और पश्चिम के ढेरों सफल, प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित किया।’