दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा, 'स्पष्ट रुप से एक अवरोधक है जिसका निदान करने की जरूरत है और वह चीन है।' उनका यह बयान उस वक्त आया है जब कुछ दिन बाद ही ओबामा प्रशासन का कार्यकाल खत्म हो जाएगा और ट्रंप प्रशासन की शुरुआत होगी।
अधिकारियों का कहना है कि चीनी प्रतिरोध की वजह से भारत एनएसजी का सदस्य नहीं बन सका। एनएसजी में सहमति के आधार पर फैसला होता है। निशा ने कहा, 'राष्ट्रपति (बराक ओबामा) अपने इस विश्वास को लेकर पूरी तरह स्पष्ट रहे हैं कि भारत एनएसजी के लिए पात्रता रखता है और अमेरिका इस समूह में भारत के प्रवेश का समर्थन करता है।'
उन्होंने कहा, 'हमने एनएसजी में भारत के आवेदन का समर्थन करने के लिए भारत के साथ बहुत निकटता से काम किया, लेकिन हमने यह भी पाया कि वहां कुछ चिंताएं बनी हुई, कुछ आपत्तियां हैं जिनको एनएसजी के कुछ सदस्यों ने प्रकट किया है और इनको लेकर काम करने की जरूरत है।'
ओबामा प्रशासन की इस पदाधिकारी ने कहा, 'हमारा मानना है कि हमने इस पर ठोस प्रगति की है और जब हम नए प्रशासन को कार्यभार सौंपेंगे तो आगे बढने का मार्ग उपलब्ध होगा। स्पष्ट रूप से एक अवरोधक है जिसका निदान करने की जरुरत है और वह चीन है।' उन्होंने कहा कि भारत का एनएसजी सदस्य नहीं बन पाना निराशाजनक है, लेकिन ओबामा प्रशासन भारत के 'मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था' (एमटीसीआर) में प्रवेश को लेकर प्रसन्न है।