Digital census for first time in India: भारत में होने वाली अगली जनगणना एक ऐतिहासिक कदम होगी, क्योंकि यह देश की पहली पूरी तरह डिजिटल जनगणना होगी। इस बार नागरिकों को अपनी जानकारी स्वयं दर्ज करने (सेल्फ-एन्यूमरेशन) का सुनहरा अवसर मिलेगा। सरकार इसके लिए एक खास वेब पोर्टल शुरू करेगी, जो जनगणना के दोनों चरणों —हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना (एचएलओ) और जनसंख्या गणना (पीई)—के दौरान उपलब्ध रहेगा। यह पहल न केवल समय बचाएगी, बल्कि जनगणना को और भी आसान, तेज और पारदर्शी बनाएगी।
डिजिटल तकनीक का उपयोग : इस डिजिटल जनगणना में गणनाकर्ता (जो लोग डेटा इकट्ठा करते हैं) एंड्रॉयड और एप्पल मोबाइल ऐप्स का उपयोग करेंगे। ये ऐप्स उन्हें घर-घर जाकर जानकारी जमा करने में मदद करेंगे। लेकिन सबसे खास बात यह है कि नागरिक खुद भी सरकार के वेब पोर्टल पर जाकर अपनी और अपने परिवार की जानकारी दर्ज कर सकेंगे। इसका मतलब है कि अब आपको गणनाकर्ता के आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर से ही यह काम कर सकते हैं। इस नई व्यवस्था में डेटा सीधे केंद्रीय सर्वर पर भेजा जाएगा। इससे जनगणना के परिणाम पहले की तुलना में बहुत जल्दी उपलब्ध होंगे। साथ ही, डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए जाएंगे, ताकि आपकी निजी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहे।
पारंपरिक तरीका भी रहेगा जारी : हालांकि यह जनगणना डिजिटल होगी, लेकिन पुराना तरीका भी पूरी तरह बंद नहीं होगा। जो लोग वेब पोर्टल पर अपनी जानकारी दर्ज नहीं करना चाहते या जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, उनके लिए गणनाकर्ता पहले की तरह घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करेंगे। इस तरह, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी व्यक्ति इस प्रक्रिया से छूट न जाए।
जाति की जानकारी होगी शामिल : इस बार जनगणना में एक नया पहलू जोड़ा गया है- घर के प्रत्येक सदस्य की जाति की जानकारी भी दर्ज की जाएगी। यह कदम सामाजिक और आर्थिक नीतियों को और बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह संवेदनशील जानकारी होगी, जिसके लिए डेटा सुरक्षा को और भी मजबूत किया गया है।