पाकिस्तान ने ब्रिक्स घोषणापत्र को नकारा, कहा...

बुधवार, 6 सितम्बर 2017 (07:41 IST)
इस्लामाबाद। आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहे पाकिस्तान ने चीन सहित ब्रिक्स देशों के घोषणापत्र को खारिज कर दिया और कहा कि उसकी धरती पर आतंकवादियों के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं है।
 
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं ने चीन के श्यामन में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की और पाकिस्तान में स्थित सहित आतंकवादी समूहों सहित सभी आतंकी संगठनों की ओर से उत्पन्न खतरे को लेकर चिंता व्यक्त की।
 
43 पृष्ठों वाला घोषणापत्र ब्रिक्स के पूर्ण सत्र में पारित किया गया और इसमें क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति के साथ ही तालिबान, आईएसआईएस, अलकायदा और उसके सहयोगी संगठनों ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट आफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्करे तैयबा, जैशे मोहम्मद, तहरीके तालिबान पाकिस्तान और हिज्ब उत तहरीर द्वारा की जाने वाली हिंसा पर चिंता व्यक्त की गई।
 
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तगीर ने नेशनल असेंबली की रक्षा पर स्थायी समिति की एक बैठक में कहा, 'हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र को खारिज करते हैं। दस्तगीर ने दावा किया कि पाकिस्तान की धरती पर आतंकवादियों के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं है।
 
जियो टीवी ने दस्तगीर के हवाले से कहा कि पाकिस्तान ने अपनी धरती पर सभी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की है और थोड़े बहुत ही बचे रह गए हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान का 40 प्रतिशत हिस्सा आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह है।
 
दस्तगीर ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए अमेरिका के ‘इंस्पेक्टर जनरल’ की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि अफगानिस्तान के 407 जिलों में से मात्र 57 प्रतिशत ही उनके नियंत्रण में है।
 
बाद में विदेश कार्यालय ने ब्रिक्स नेताओं के शिखर सम्मेलन दस्तावेज में लश्करे तैयबा और जैशे मोहम्मद सहित आतंकवादी समूहों का नाम लिए जाने के बारे में एक संक्षिप्त बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि पाकिस्तान भी दक्षिण एशिया क्षेत्र में आतंकवाद एवं अतिवाद की ओर से उत्पन्न खतरे से गंभीरता से चिंतित है।
 
इसमें कहा गया कि अफगानिस्तान सहित क्षेत्र में स्थित आतंकवादी समूहों जैसे टीटीपी और उसके सहयोगी जैसे जमातुल अहरार पाकिस्तानी लोगों के खिलाफ हिंसा के अतिवादी कृत्यों के लिए जिम्मेदार रहे हैं। इसमें कहा गया, 'हम दाएश (आईएसआईएस), ईटीआईएम और आईएमयू जैसे समूहों की अफगानिस्तान में अनियंत्रित क्षेत्रों में मौजूदगी को लेकर बहुत चिंतित हैं क्योंकि ये क्षेत्र की शांति एवं सुरक्षा के लिए एक खतरा उत्पन्न करते हैं।
 
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जमीनी, हवाई और समुद्री सीमाओं की सख्त निगरानी की जा रही है और देश को विदेशी आक्रमण का कोई खतरा नहीं है। (भाषा)

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