वॉशिंगटन। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' में लिखे गए एक लेख में अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन ऋंगला ने कहा कि इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान अब तक के सबसे बुरे आर्थिक दौर में है, जबकि इसके विपरीतभार तीय कश्मीर तरक्की की राह पर और आगे बढ़ रहा है। आतंकवाद को बढ़ावा देने का यह कुपरिणाम निकला की पाक अर्थव्यस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।
आर्थिक मंदी, महंगाई, कर्जा और 22 बार आईएमएफ के बेलआउट पैकेज के बावजूद इमरान पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब है और वह भारत की अर्थव्यस्था को भी नुकसान पहुंचाना चाहता है। इसका सभी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को विरोध करना चाहिए।
इमरान को रास नहीं आ रही कश्मीर की तरक्की : इमरान को यह बात रास नहीं आ रही है कि कश्मीर कैसे तरक्की के रास्ते पर वापस आ गया है। आर्टिकल 370 की वजह से कश्मीर का विकास नहीं हो पाया था, जबकि पाकिस्तान चाहता है कि लद्दाख और कश्मीर की अर्थव्यवस्था बनी कमजोर रहे और अलगाववाद की भावना कायम रह सके और वहां आतंकवाद फलता-फूलता रहे। पाकिस्तान आतंकवाद को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है।
अल्पसंख्यकों की खराब स्थिति : इमरान खान भारतीय अल्पसंख्यकों की तो चिंता करते हैं, जबकि एक कटु सत्य यह है कि पाकिस्तान के निर्माण के समय 23% अल्पसंख्यक थे और अब वहां सिर्फ 3 प्रतिशत अल्पसंख्यक ही रह गए हैं। शिया, अहमदी, ईसाई, हिन्दू और सिख के साथ-साथ मुसलमान जैसे शिया, पख्तून, सिंधी, बलूच लोगों के पाकिस्तान में बहुत ही बुरे हाल हैं।
आर्टिकल 370 हटाने के बाद से कश्मीर में कोई विशेष हलचल नहीं हुई तथा वह शांति पर राह पर चल पड़ा है। लेख में कहा गया है कि पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद का रास्ता छोड़कर एक अच्छा पड़ोसी बनना चाहिए।