दो दिन के सम्मेलन के बाद जारी घोषणा पत्र में मोदी समेत सभी सदस्य देशों के प्रमुखों के हस्ताक्षर तो हैं, लेकिन चीन की बेल्ट एंड रोड पहल को समर्थन दोहराने वाले देशों में सिर्फ रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान का नाम है।
बता दें कि चीन की यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरती है, जिसका भारत कड़ा विरोध करता आ रहा है। भारत का कहना है कि PoK उसका अभिन्न हिस्सा है, जहां से उसकी इजाजत के बिना चीन कोई ऐसा निर्माण कार्य नहीं कर सकता है। भारत ने कहा है कि वह किसी ऐसे प्रॉजेक्ट को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर उसकी मुख्य चिंता को अनदेखा करता हो।
चीन ने 2013 में इस परियोजना की रूपरेखा पेश की थी, जिसका लक्ष्य दक्षिण-पूर्वी एशिया, सेंट्रल एशिया, गल्फ रीजन, अफ्रीका और यूरोप को रोड और सागर के नेटवर्क से जोड़ना है। शी जिनपिंग पहले ही कह चुके हैं कि चीन इस प्रोजेक्ट में 126 अरब डॉलर का निवेश कर सकता है।