अमेरिका के हारवर्ड मेडिकल स्कूल के शेरिल एल रिफास शिमान ने बताया, पूर्व अध्ययनों में अत्यधिक फ्रूक्टोज वाले कॉर्न सिरप से मीठे किए गए पेय पदार्थों के सेवन को बच्चों में दमा से जोड़कर देखा गया है, लेकिन इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि शुरुआती विकास के कौन से चरण में फ्रूक्टोस के सेवन से बाद में सेहत पर फर्क पड़ता है। पहली और दूसरी तिमाही (गर्भावस्था की) के बाद इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाली मांओं ने अपने भोजन और सोडा व फलों से बने पेय के बारे में पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया।
रिफास शिमान ने बताया, गर्भावस्था और बाल्यावस्था के दौरान चीनी युक्त पेय के कम सेवन से बचपन में होने वाले दमा के खतरे को कम किया जा सकता है। यह अध्ययन एनल्स ऑफ द अमेरिकन थोरेसिक सोसाइटी में प्रकाशित हुआ है। (भाषा)