Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने एक खंडित दुनिया को एकसाथ लाने के उद्देश्य से यूं तो विभिन्न प्रकार की पहल की हैं लेकिन बुधवार को मनाए जा रहे 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' (International Day of Yoga) ने अपनी सार्वभौमिक स्वीकृति के साथ विश्व स्तर पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
इस वार्षिक आयोजन में योग गतिविधियों का समर्थन करने और इसमें भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में राष्ट्रों को एकसाथ आते देखा गया है। इन सभी वजहों से प्राचीन भारतीय योगाभ्यास दुनियाभर में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य आंदोलन के रूप में उभर रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' में कई देशों की सक्रिय भागीदारी देखी गई है, जो शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए एक परिवर्तनकारी अभ्यास के रूप में योग की वैश्विक मान्यता को प्रदर्शित करती है। मोदी बुधवार, 21 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में विश्व निकाय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों के साथ 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' मनाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में अपने संबोधन के दौरान योग को समर्पित एक दिन का विचार रखा था और 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से 21 जून को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' मनाने पर सहमति जताई थी। प्रधानमंत्री के रूप में अपने 9 वर्षों के दौरान मोदी द्वारा की गई कुछ अन्य वैश्विक पहल इस प्रकार हैं:-
मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष: वर्ष 2023 को मोटे अनाज के अंतरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईएम) के रूप में घोषित करने का आह्वान मोदी ने किया था जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्वीकार कर लिया गया। मोदी ने आईवाईएम 2023 को जन आंदोलन बनाने के अपने दृष्टिकोण को भी साझा किया है।
अधिकारियों ने कहा कि इस पहल ने स्थायी कृषि, पोषण और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में मोटे अनाजों के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि आईवाईएम के दौरान प्रधानमंत्री के प्रयास सतत कृषि, पोषण और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में बाजरा के महत्व को उजागर करने के लिए वैश्विक मोटा अनाज (श्री अन्न) सम्मेलन में दुनिया को एकसाथ ले आए।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए): इसकी शुरुआत की घोषणा मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने नवंबर 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी-21) के 21वें सत्र में की थी। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को संबोधित करना है। 100 से अधिक देश आईएसए आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई): यह जलवायु से संबंधित आपदाओं के लिए बुनियादी ढांचे के लचीलेपन को बढ़ाने पर केंद्रित है जिससे दुनियाभर के देशों को लाभ होता है।
मिशल लाइफ (पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली): वर्ष 2021 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी सीओपी-26) में मोदी ने मिशन लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) की घोषणा की ताकि व्यक्तिगत व्यवहार को वैश्विक जलवायु कार्रवाई में सबसे आगे लाया जा सके। इसके बाद मोदी ने अक्टूबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की मौजूदगी में मिशन एलआईएफई की शुरुआत की थी। यह वैश्विक जलवायु कार्रवाई में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में व्यक्तिगत कार्यों पर जोर देता है।
'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' की अवधारणा: इसने मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को रेखांकित किया। जी-20 में भारत का आदर्श वाक्य 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' भी कई अवसरों पर परिलक्षित होता रहा है।
वैक्सीन मैत्री: तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच भारत की टीका कूटनीति का दुनियाभर में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने में व्यापक प्रभाव पड़ा है। 'टीका मैत्री' उसी का एक प्रमुख उदाहरण रहा है जिसके तहत भारत ने 'वसुधैव कुटुम्बकम्' को बढ़ावा दिया है।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 'गांधी 150' का स्मरणोत्सव: इसमें विश्व के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में गांधी सौर पार्क और गांधी शांति उद्यान का उद्घाटन किया। इस प्रतीकात्मक संकेत ने महात्मा गांधी द्वारा पेश शांति और अहिंसा के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर प्रकाश डाला।
अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न भाषाओं में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिये' भी विश्व स्तर पर गूंजा और गांधी के सिद्धांतों की सार्वभौमिकता और आज की दुनिया में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया गया।
उन्होंने बताया कि दुनियाभर के 150 से अधिक देशों के कलाकारों ने महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शहीद शांति सैनिकों के सम्मान में स्मारक दीवार स्थापित करने के लिए भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को आम सहमति से स्वीकार किया। अधिकारियों ने कहा कि यह भारत द्वारा एक नेक काम के लिए राष्ट्रों को एकसाथ लाने का नवीनतम उदाहरण है।(भाषा)