राजस्थान में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक शख्स पोस्टमार्टम के बाद चिता पर जिंदा हो गया। पोस्टमार्टम के बाद उसे करीब ढाई घंटे तक डीप फ्रीजर में भी रखा गया था। लेकिन अंतिम संस्कार के वक्त चिता पर बॉडी में हरकत नजर आई।
घटना सामने आने के बाद राजस्थान सरकार ने तीन डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया है। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या शख्स का पोस्टमार्टम हुआ था। अगर पोस्टमार्टम हुआ था तो फिर शख्स मरा क्यों नहीं। यह घटना झुंझुनूं की है। 3 डॉक्टरों को भजनलाल सरकार ने सस्पेंड किया है।
क्या है पूरा मामला: जब रोहितास नाम के शख्स को मृत घोषित करने और उसके पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के दौरान चिता पर आग लगाने के लिए रखा गया तो उसकी सांसें चलने लगी। यह देखकर हर कोई दंग रह गया। घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में रोहितास का पोस्टमार्टम हुआ कि नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ है तो वह जिंदा कैसे हो गया? अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो पोस्मार्टम किया गया, यह कैसे मान लिया गया? अस्पताल में रात तक इसका जवाब देने से जिम्मेदार बचते रहे। यह भी बताया जा रहा है कि बिना पोस्टमार्टम के ही कह दिया गया हो कि पोस्टमार्टम हो गया, मरीज को ले जाओ। बता दें कि रोहितास को मरा हुआ मानकर उसे करीब ढाई घंटे तक डीप फ्रीजर में रखा गया था। अब उसी अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है। उसकी हालात भी सामान्य बताई जा रही है।
क्या है PM रिपोर्ट में: झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में जिंदा आदमी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. नवनीत ने बनाई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नम्बर 223 के पहले पेज पर 1.50 मिनट पर मौत होना बताया गया। वहीं नीचे की तरफ अंतिम कॉलम में रिमार्क ऑफ मेडिकल ऑफिसर में डॉक्टर की ओपीनियन लिखी हुई है। इसमें फेफडे फेल होना तथा सीओपीडी या टीबी की बीमारी से मौत होना बताया गया है। रिपोर्ट पर डॉ. नवनीत के हस्ताक्षर हैं व उसके नीचे मेडिकल ज्यूरिस्ट की सील भी लगी हुई है। जिला कलक्टर रामावतार मीणा की अनुशंसा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ व डॉ. नवनीत मील को निलम्बित कर दिया।
Edited By: Navin Rangiyal