राजन ने कहा कि जो समस्याएं हैं, उनमें एक यह है। मैंने इस पर बहुत दृढ़ता से कहा है कि आलोचना को दबाने का मतलब है कि आप प्रतिक्रिया नहीं सुनते हैं और अगर आप प्रतिक्रिया नहीं सुनते हैं तो आप उचित समय पर सही कदम नहीं उठा सकते।
उन्होंने कहा कि इसलिए सभी आलोचकों से कहना कि सरकार की आलोचना न करें, मुझे लगता है कि यह सरकार के लिए बुरा है। हो सकता है कि हर कोई आपकी प्रशंसा करे और यह कहे कि आप दूसरे मसीहा हैं, लेकिन इससे उस तरह की चेतना नहीं पैदा होने वाली, जैसी कि आप सरकार के भीतर चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सरकार सुनेगी और देखेगी कि उसे क्या करना चाहिए। भारत में बहुत सारे अर्थशास्त्री और बुद्धिमान लोग हैं, जो सलाह दे सकते हैं। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उस सलाह को अपनाए और उस पर विचार-विमर्श तथा कार्रवाई करे।