ढाका। चीन पर परोक्ष हमला बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं, तो भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है।
चीन द्वारा भारत के साथ सीमा समझौते के उल्लंघन के स्पष्ट संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं। जैसा कि हमने देखा है कि इससे भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है।
उन्होंने कहा, इसलिए यह आवश्यक है कि हम सभी अपने हितों के सामरिक दृष्टिकोण के बजाय अपने सहयोग के मद्देनजर दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं। भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और उसके आक्रामक व्यवहार की आलोचना करता रहा है, जो सीमा संबंधी समझौते का उल्लंघन है।
जयशंकर ने कहा, पिछले दो दशकों के कुछ सबक हैं, जिन्हें हम अपने जोखिम पर अनदेखा करते हैं। यदि हम ऐसे अपारदर्शी ऋण और महंगी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करते हैं, तो हमें पहले या बाद में इसका नुकसान उठाना होगा।
सुचारू और प्रभावी संपर्क के महत्व पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने कहा कि देशों को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि भारत 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जिससे चीन को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अरब सागर तक पहुंच मिलती है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)